For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

प्रेम परंपरा और पर्यावरण का त्योहर

08:16 AM Aug 05, 2024 IST
प्रेम परंपरा और  पर्यावरण का त्योहर

तीज पर्व का धार्मिक और बड़ा सांस्कृतिक महत्व है। इसे भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के रूप में भी देखा जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।

Advertisement

सतीश मेहरा

श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन पूरे उत्तर भारत में मनाया जाने वाला ‘हरियाली तीज’ उत्सव महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है। इस मास में मानसून के चलते काली और घनरघोर घटाएं पूरे यौवन पर होती हैं। बरसात के चलते चारों ओर हरियाली ही हरियाली दिखाई देती है, इसलिए इसे ‘हरियाली तीज’ पर्व का नाम दिया गया है।
तीज पर्व का धार्मिक और बड़ा सांस्कृतिक महत्व है। इसे भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के रूप में भी देखा जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। कुंवारी लड़कियां सुयोग्य वर की कामना के लिए व्रत रखती हैं। तीज पर्व पर महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। इस व्रत को ‘निराहार व्रत’ भी कहा जाता है। महिलाएं सुबह-सुबह स्नान कर भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा करती हैं। इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियों को सुहाग के प्रतीक वस्त्र और आभूषणों से सजाया जाता है।
तीज उत्सव के अवसर पर विवाहित बहनों की ससुराल में भाई विभिन्न पारंपरिक और आधुनिक मिठाइयां लेकर जाते हैं। इसके साथ-साथ उनके सजने-संवरने के परिधान भी लेकर जाते हैं। हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के क्षेत्र में इस समृद्ध परंपरा को कोथली कहा जाता है। लड़कियां अपनी ससुराल में इन मिठाइयों को आस-पड़ोस और अपने मिलने जुलने वालों परिवारों में बांटती है।
तीज पर्व पर विशेष रूप से घेवर, गुजिया, फेरनी, मीठे बिस्कुट, बतासे, गुलगुले और सुहाली जैसी मिठाइयों और पकवानों का प्रचलन है। तीज पर्व पर महिलाएं लाल, हरे रंग के पारंपरिक परिधान डालकर झूला झूलती हैं। वृक्षों पर पड़े झूलों के साथ ही यह महिलाएं लोकगीतों के साथ पारंपरिक नृत्य करती हैं। इस दिन महिलाएं लाल और हरे रंग के वस्त्रों के साथ इन्हीं रंगों की चूड़ियां पहनती हैं, जो सुहाग और हरियाली का प्रतीक हैं। मेहंदी लगाना भी इस पर्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
तीज पर्व प्रकृति के प्रति प्रेम और आभार प्रकट करने का भी दिन है। इस समय वर्षा ऋतु होती है और पेड़-पौधे हरे-भरे हो जाते हैं। इसके साथ-साथ लोग गांव-देहात में अपने घर आंगन तथा जोहड़ों व तालाबों के किनारे पौधारोपण भी करते हैं। इस प्रकार से यह त्योहार प्रेम और पर्यावरण के साथ-साथ भारतीय परंपरा को और समृद्ध बनाता है।

Advertisement
Advertisement
Advertisement