Feel Good Hormones खुशी के हार्मोंस का खजाना जो जीवंत बनाए जिंदगी को
हमारे शरीर में हमें खुश रखने वाले चार हार्मोन्स डोपामाइन, सेरोटोनिन, ऑक्सीटोसिन और एंडोर्फिन बनते हैं। इन्हें जिंदगी जीवंत बनाने वाली नियामत कह सकते हैं। ये हमें प्रेरणा, उत्साह, पुरस्कार, आत्मविश्वास व संतुष्टि प्रदान करते हैं। रिश्ते बनाने व भरोसा पैदा करने में इनकी बड़ी भूमिका है। ये हार्मोन न होते तो तनाव रहता, नित सेहत बिगड़ती। इंसान सकारात्मक-रचनात्मक नहीं होता।
रेखा देशराज
इंसान की खुशी का आधार हैं, उसके शरीर में पैदा होने वाले ‘फील-गुड हार्मोन। इसलिए इन्हें खुशी का जादुई खजाना भी कहते हैं। सच बात तो ये है कि इंसान को कुदरत से मिलने वाला यह सबसे बड़ा तोहफा है। यह बेहद बड़ी नियामत है। अगर ये हार्मोन न हों तो कोई इंसान महज दुख और परेशानियों की गठरी बनकर रह जाए। जब ये हार्मोन हमारे शरीर में बनना बंद हो जाते हैं तो हम गुस्सैल, चिड़चिड़े शख्स के रूप में चिन्हित किये जाने लगते हैं। फील-गुड हार्मोन्स इंसान की मानसिक और शारीरिक सेहत के लिए रीढ़ की तरह हैं। यही हमारी खुशी, तनाव, सकारात्मक ऊर्जा और बेचैनी के लिए जिम्मेदार होते हैं। जानिये खुशी के ये हार्मोन्स कौन कौन से हैं और किस तरह फायदा पहुंचाते हैं।
चार जादुई सिपाही
हमारे शरीर में हमें खुश रखने वाले चार हार्मोन्स बनते हैं- डोपामाइन, सेरोटोनिन, ऑक्सीटोसिन और एंडोर्फिन। जब हम कोई लक्ष्य हासिल करते हैं या कुछ अच्छा अनुभव करते हैं तो हमारे शरीर से डोपामाइन नामक हार्मोन रिलीज होता है। मेडिकल की भाषा में इसे रिवार्ड हार्मोन भी कहा जाता है। जब हम बहुत खुशी महसूस करते हैं,संतुष्टि महसूस करते हैं तो यह हार्मोन जारी और सक्रिय होता है। यह हमें प्रेरित करने व आत्मविश्वास बढ़ाने में मददगार है। इसी प्रकार हमारे मूड को सही रखने वाला, अच्छी नींद में मददगार , बढ़िया यादद्दाश्त बनाये रखने वाला और भूख नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाने वाले हार्मोन को सेरोटोनिन कहते हैं। इसे मूड स्टैबलाइजर हार्मोन भी कहते हैं। यह संतुष्टि और खुशहाली की भावना प्रदान करता है। हमारे शरीर का तीसरा और एक उम्र का सबसे प्यारा हार्मोन ऑक्सीटोसिन है जिसे मेडिकल की भाषा में ‘लव हार्मोन या बॉन्डिंग हार्मोन’ भी कहते हैं। शरीर में इसके रिलीज होने पर ही हम किसी से लगाव महसूस करते हैं। चाहत महसूस करते हैं व किसी पर आंख मूंदकर भरोसा करते हैं। यह रिश्तों में प्यार और अपनापन महसूस कराने में अहम भूमिका निभाता है। जिस व्यक्ति के शरीर में ऑक्सीटोसिन हार्मोन नहीं बनेगा, वह किसी से किसी भी उम्र में प्यार नहीं करेगा। शरीर का चौथा महत्वपूर्ण फील-गुड हार्मोन एंडोर्फिन है। जिसे मेडिकल में नेचुरल पेनकिलर भी कहते हैं। यह हार्मोन रिलीज होने पर हम किसी भी दर्द को कम महसूस करते हैं। तनाव से मुक्ति महसूस करते हैं। हंसने पर, एक्सरसाइज करने पर और उत्साह से लबरेज होने के मौके पर हमारे अंदर ये हार्मोन बनता और रिलीज होता है।
सकारात्मकता, रचनात्मकता का आधार
आंखों से न दिखाई देने वाले ये चार हार्मोन धरती में इंसान के लिए कुदरत का अनमोल व बड़ा तोहफा हैं। वास्तव में ये हार्मोन ही हैं जो हमें दुनिया के लिए जबर्दस्त प्यार और चाहत महसूस कराते हैं। अगर ये हार्मोन न होते तो इंसान के पास तनाव और चिंता को खत्म करने के लिए कोई तरीका ही नहीं होता। ये न होते तो इंसान सकारात्मक और रचनात्मक नहीं होता। ये न होते तो लोगों में आपस में प्यार, जुड़ाव, रिश्ते और भावनाएं नहीं होती। ये नहीं होते तो हम न तो अच्छी तरह से नींद महसूस कर पाते और न ही हमारा पाचनतंत्र दुरुस्त होता।
अगर इंसान में हार्मोन न होते
दुनिया के हर इंसान के अंदर खुशी के ये चार हार्मोन्स मौजूद हैं और हमारी रोजमर्रा की गतिविधियों से बढ़ते या घटते हैं। अगर ये हार्मोन होते ही नहीं तो शायद इंसान ही नहीं होता और अगर किसी इंसान में ये हार्मोन कम होते तो उसे कई तरह की समस्या हो सकती है। इन हार्मोन्स की कमी के चलते इंसान डिप्रेशन, उदासी और निराशा का शिकार रहता है क्योंकि उसके शरीर में सेरोटोनिन और डोपामाइन की कमी या नामौजूदगी होती है। जब कोई व्यक्ति लगातार तनाव में रहता है, चिंतित रहता है, असुरक्षित महसूस करता है, तो उसमें एंडोर्फिन और ऑक्सीटोसिन हार्मोन्स की कमी होती है। जब हम थकावट या चिड़चिड़ापन महसूस करते है तथा किसी भी चीज से लगाव नहीं महसूस करते, तो इसका मतलब यह है कि हमारे अंदर डोपामाइन की कमी है। ऐसे व्यक्ति आमतौर पर निरुत्साहित महसूस करते हैं। नींद में कमी, कम इम्यूनिटी और पाचन संबंधी दिक्कतों से ग्रस्त रहते हैं।
कब छीज जाते हैं ये हार्मोन
ये हार्मोन तब हमारे शरीर में कम हो जाते हैं या कम बनने लगते हैं, जब हम लगातार मानसिक दबाव और तनाव में रहते हैं। वहीं जब हम पर्याप्त नींद नहीं लेते, नींद लेते भी हैं तो वह क्वालिटी नींद नहीं होती। ऐसे में हमें यह कमी महसूस होती है। इसके साथ ही हमारी अनियमित जीवनशैली,खराब खानपान, निष्क्रियता और ज्यादा कैफीन का सेवन करना, हमारे जीवन को अनियंत्रित कर देता है। इन हार्मोन्स में से खासकर ऑक्सीटोसिन की शरीर में कमी के चलते हम सामाजिक अकेलेपन से ग्रस्त हो जाते हैं और यह स्थिति हमें क्रोनिक बीमारियों की तरफ ले जाती है।
बढ़ाये भी जा सकते हैं खुशी के स्रोत
हमारी शारीरिक और मानसिक खुशियों की चाबी यही फील-गुड हार्मोन्स हैं। अपनी खुशियों और सेहत को अच्छा रखने के लिए इन हार्मोन्स को न सिर्फ बेहतर बना सकते हैं बल्कि बढ़ा भी सकते हैं। अगर हम नियमित रूप से सक्रिय रहें, हमारी शारीरिक गतिविधियां पर्याप्त हों तो हमारे शरीर में लगातार एंडोर्फिन और डोपामाइन का स्तर लबालब रहता है और हम खुश और मोटिवेटेड महसूस करते हैं। नियमित व्यायाम और योग के जरिये हम अपने शरीर में एंडोर्फिन और डोपामाइन का स्तर बढ़ा सकते हैं। ध्यान और प्राणायाम करके शरीर में सेरोटोनिन की न सिर्फ मात्रा को बढ़ा सकते हैं बल्कि उसे सक्रिय कर सकते हैं। वहीं नियमित संतुलित आहार, जिसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड, प्रोटीन, हरी सब्जियां, सलाद और कंद या जड़ों वाली चीजें शामिल हों, का सेवन कर शरीर को संतुलित रख सकते हैं, इससे हमारे शरीर में एंडोर्फिन बनता और रिलीज होता है। अगर हम प्रकृति के करीब रहते हैं, धूप में समय बिताते हैं, तो हमारे शरीर में सेरोटोनिन हार्मोन बढ़ता है और फिर हमारा हर जगह मन लगता है।
इसी तरह अगर हम सामाजिक रूप से सक्रिय रहें तो ऑक्सीटोसिन, ज्यादातर समय हंसें तो एंडोर्फिन, संगीत सुनें तो डोपामाइन और सेरोटोनिन से हमारे शरीर में खुशी के ये हार्मोन्स बनते और रिलीज होते हैं। साथ ही भरपूर नींद हमारे शरीर में हार्मोनों का संतुलन बनाती है। इस तरह अगर हम चाहें तो कुदरत से मिले इन नायाब तोहफों फील-गुड हार्मोन को न सिर्फ अच्छी तरह से देखभाल कर सकते हैं बल्कि इनको बढ़ा भी सकते हैं। -इ.रि.सें.