एफसीआई की पॉलिसी सरकारी चावल लौटाने में बनी मुसीबत
रमेश सरोए/हप्र
करनाल, 31 जनवरी
सरकारी चावल लौटाने में राइस मिलर्स को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, जिसकी वजह से सरकारी चावल केंद्रीय पुल में जमा करवाना बड़ी मुसीबत बना हुआ है।
राइस मिलर्स का आरोप है कि एफसीआई की नयी पॉलिसी ने पहले से चली आ रही व्यवस्थाओं को बदल दिया है, यहीं नहीं राइस मिलों से चावल की लिकिंग मिलों से काफी दूरी से होने से किराया बढ़ गया है।
इससे सरकारी चावल को एफसीआई के गोदामों तक पहुंचाना काफी महंगा हो चुका है। चावल को चैक करने के लिए मशीन और केमिकल्स भी राइस मिलर्स के सामने बड़ी बाधा बनकर सामने खड़ी है, रही-सही कसर तकनीकी स्टाफ, लेबर की कमी ओर गोदामों में पर्याप्त व्यवस्था न होने ने पूरी कर दी है। जिला करनाल राइस मिलर्स एसोसिएशन के जिला प्रधान राजकुमार गुप्ता ने बताया कि राइस मिल से गाड़ी लोड करके एफसीआई के गोदामों में पहुंचाना ही मुश्किल है। लिकिंग को मिलों से काफी दूर कर दिया, जिससे किराया काफी बढ़ गया। एफसीआई लोकल रेट के हिसाब से काफी कम किराया देती है, जैसे कुंजपुरा के राइस मिलर्स को करनाल बजीदा के गोदाम में चावल जमा करवाना है, जबकि कुंजपुरा के दो किलोमीटर दूर ही एफसीआई का गोदाम है।
इसी तरह इंद्री वालों को तरावड़ी रेल हेड के पास चावल जमा करवाना होगा। इसके अलावा चावल के कलर को मापने के लिए प्रयोग किया जा रहा केमिकल बड़ी मुसीबत है। तकनीकी स्टाफ, लेबर की कमी बनी हुई है। उदाहरण के तौर पर अगर एक दिन में सेंटर पर 80 गाड़ी चावल लेकर आएं तो उनमें से 25 से 30 ऐसी ही खड़ी रह जाती हैं। उन्होंने कहा कि मशीन को लेकर भी परेशानी बनी हुई है। जिलाध्यक्ष ने कहा कि अगर एफसीआई द्वारा दिक्कतों को दूर नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में राइस मिलर्स सरकारी धान लेने से पीछे हट जाएगे।
प्रक्रिया को आसान किया गया है : एफसीआई अधिकारी
एफसीआई के अधिकारी ने बताया कि मिक्स इंडिगेटर मैथड (एमआईएम) से पता लगाया जाता है कि चावल पुराना है या नहीं। अगर चैकिंग के दौरान चावल ग्रीन आता है तो उसे पास कर दिया जाता है अन्यथा कैंसिल। इसके अलावा विंग नामक साफ्टवेयर मिलर्स को कहां पर चावल जमा करवाना है, अपने आप ही ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत बताता है। प्रक्रिया को पहले की अपेक्षा आसान किया गया है।
राइस मिलर्स एसोसिएशन के पूर्व प्रधान बोले
करनाल राइस मिलर्स एसोसिएशन के पूर्व प्रधान विजय ठक्कर ने बताया कि नये सीजन में करीब 300 राइस मिलर्स सरकारी धान की मिलिंग में जुटे हैं, जिन्हें करीब 22 हजार गाड़ियां चावल की लौटानी हैं। प्रति गाड़ी 290 क्विंटल चावल भेजा जाता है। अगर ऐसी ही दिक्कतें बनी रहीं तो सरकारी चावल लौटाने में काफी परेशानी होगी। सरकार राइस मिलर्स की दिक्कतों को दूर करे। उधर, एफसीआई डीएम करनाल अमिताभ कुमार ने बताया कि राइस मिलर्स को जो दिक्कते हैं, उनको चैक करवाया जाएगा।