भक्तों के कल्याण का व्रत
परमा एकादशी व्रत 12 अगस्त
चेतनादित्य आलोक
हिंदू पंचांग के अनुसार अधिकमास (जून-जुलाई) के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी तिथि को ‘परमा एकादशी’ कहा जाता है। कहीं-कहीं इसका उल्लेख ‘परम एकादशी’ के रूप में भी किया गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इसे परम अथवा परमा एकादशी इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह परम दुर्लभ सिद्धियों की दाता है। वैसे इसे अधिकमास एकादशी, पुरुषोत्तम एकादशी एवं हरिवल्लभा एकादशी आदि नामों से भी जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार परमा एकादशी के व्रत में भक्त व्रती का भाग्य बदलने की क्षमता विद्यमान है। इस दिन किये गये धार्मिक एवं आध्यात्मिक उपायों से और भगवान श्रीविष्णु की कृपा से व्रती को अपार सुख, संपत्ति की प्राप्ति होती है। परमा एकादशी को दुर्लभ तांत्रिक सिद्धियां प्राप्त करने के लिए भी बहुत ही उत्तम मुहूर्त माना जाता है।
इस दिन विशेष तंत्र साधनाएं तथा पूजा-पाठ के माध्यम से अनेक दुर्लभ तांत्रिक सिद्धियां प्राप्त की जाती हैं। इस दिन विधिपूर्वक व्रत रखकर मंत्र जाप करने से व्रती को इच्छाओं की पूर्ति का वरदान प्राप्त होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार यह एकादशी धन की दाता और सुख-ऐश्वर्य की जननी परम पावन होती है। यह दुःख और दरिद्रता का शमन करने वाली और सौभाग्य प्रदान करने वाली है। शास्त्रों में इस एकादशी व्रत में स्वर्ण दान, विद्या दान, अन्न दान, भूमि दान एवं गो दान आदि को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया गया है। पूर्ण विधि-विधान से इस एकादशी व्रत को करने पर व्रती को भगवान श्रीविष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनकी कृपा से जीवन के सारे दुःख, कष्ट और परेशानियां समाप्त हो जाती हैं। यह आध्यात्मिक आत्मनिरीक्षण, आत्म-अनुशासन और भक्ति के मार्ग पर प्रगति का अवसर प्रदान करने वाला व्रत है।
मान्यता है कि इस व्रत को करके व्यक्ति अपने पिछले पापों और दुष्कर्मों से मुक्त हो सकता है। परमा एकादशी आध्यात्मिक रूप से अत्यधिक ऊर्जावान मानी जाती है। इसलिए इस दिन को विशेष रूप से परमात्मा के साथ अपने आध्यात्मिक संबंध को गहरा करने अवसर माना जाता है। इस व्रत को करने से अर्जित पुण्य कई गुना बढ़ जाता है। इस अवसर पर दिवंगत पूर्वजों के लिए प्रार्थना और अनुष्ठान करने से उनकी आत्मा को शांति और मुक्ति मिलती है। यह व्रत भक्ति, ईश्वरीय करुणा तथा पूर्वजों के प्रति सम्मान के भाव में वृद्धि करने वाला है। इस दिन व्रती के लिए श्रीविष्णु सहस्रनाम, श्रीसूक्त, पुरुषसूक्त, श्रीमद्भागवत पुराण अथवा श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करना विशेष रूप से फलदायी बताया गया है।