बदलते मौसम में फैशन के रंग-ढंग
शमीम शर्मा
कहा जाता है कि मौसम देखकर कपड़े पहनने चाहिए। ऐसे में इस भयानक ठंड में कोई टी-शर्ट पहनकर घूमे तो हरियाणवी तो पूछ ही लेगा- क्यूं भाई, तेरा के माथा खराब है? अपने इधर नेता कई तरह की टोपियां रखते हैं। वे मौसम नहीं मौका देख-देख कर टोपियां पहनते हैं। ऐसे भी हैं जो कपड़ों की चिंता करने की बजाय सिर्फ जेब की चिंता करते हैं कि कैसे भरें या दूसरों की कैसे काटें?
मंदिर में निक्कर पहनकर आई किसी युवती को पुजारी ने टोका तो वह उसके सिर पर जा चढ़ी। वहां खड़ी और महिलायें भी युवती के हक में बोल रही थीं। तब पुजारी ने पूछा- हिम्मत है तो दूसरे धर्मस्थलों में बिना सिर ढके जाकर दिखाओ। हर जगह बहस और आजादी की हिमायत भी उचित नहीं है। फटी जींस पहन कर आये बेटे के एक सहपाठी को घर की बुजुर्ग महिला ने टोकते हुए कहा- ला बेटा, तेरी पैंट के टांका लगा दूं, तेरी मां के पास फुर्सत नहीं होगी, नौकरी जो करती है। उस लड़के की हालत का अंदाज़ा लगाना कठिन नहीं है। इसी तरह सर्दी की रात में शादी के समारोह में एक ठिठुरती युवती को देखकर घर की वृद्ध महिला से रहा नहीं गया और वह बोली- ले बेटी, मेरा शॉल ओढ़ ले, तेरे कंपन चढ़ी हुई है। युवती कंधे उचका कर अपनी झेंप मिटाती हुई बोली- ऊंहूं, आपको ये भी नहीं पता कि ये आज का फैशन है। जीर्ण-शीर्ण या थेगली-पैबन्द लगे कपड़े फैशन का हिस्सा कैसे हुए, शोध का विषय है। दुष्यन्त कुमार का एक शेर याद आ रहा है :-
वो नुमाइश में मिला था चीथड़े पहने हुये
मैंने नाम पूछा तो बोला कि हिन्दुस्तान है।
कपड़ों के रंगों के कारण भी महिलाओं को कई बार अनेक फब्तियों का सामना करना पड़ जाता है। जानवर फिल्म में नायिका राजश्री को ‘लाल छड़ी मैदान खड़ी’ टिप्पणी से जूझना पड़ा। यह और बात है कि गाना हिट हुआ।
काले रंग के सूट में कैसी लगती हूं पूछा किसी ने अपनी जान से।
प्रेमी बोला हीरा निकल रहा हो जैसे कोयले की खान से।
एक मनचले ने अपनी क्लासमेट को समझाते हुए कहा कि कभी पीले-सफेद कपड़े पहन कर हमारे घर न आया कर। कारण पूछने पर बताया गया कि मेरी मां कहती है- देख तेरी कढ़ी-चावल आ गई।
बात पहरावे की हो तो यह भी कहा जायेगा कि कितनी ही शेर की खाल पहन लो पर ढेंचू-ढेंचू की आवाज़ जाहिर कर देती है कि कौन है।
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एक बर की बात है अक नत्थू अंडरवीयर खरीदण एक बड़ी सी दुकान मैं जा बड़्या। दुकानदार नैं उस ताहिं रंगबिरंगे अंडरवीयर दिखाये अर रेट बताया- तीन सौ का एक है। नत्थू बोल्या- यार! पार्टीवीयर कोनीं लेने, रोज पहरण खात्तर दिखा दे।