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ऑफबीट फिल्मों का मोह

08:45 AM Jun 01, 2024 IST
ऑफबीट फिल्मों का मोह
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असीम चक्रवर्ती
इन दिनों नायकों का बाजार बहुत ठंडा जा रहा है। लेकिन इनमें अजय देवगन एकमात्र ऐसे उदाहरण हैं,जिनके पास फिल्मों का अभाव कभी नहीं रहा। और यह कमाल वह लगातार कई फ्लाप फिल्मों का बोझ ढोते हुए कर रहे हैं। अभी हाल में उनकी फिल्म ‘मैदान’ की खूब तारीफ हुई। मगर बावजूद इसके इस अच्छी फिल्म को एक औसत हिट के लिए तरस जाना पड़ा। आइए इस संदर्भ मे उनकी सफलता का मूल्याकंन करें-
छा गये अजय
पिछले दिनों प्रदर्शित उनकी दो फिल्मों ‘शैतान’ और ‘मैदान’ ने इस उम्र में अजय के लिए एक नई जमीन तैयार कर दी है। उनके कैरियर में इन दोनों फिल्मों ने एक नई प्राणवायु भर दी है। वैसे ‘शैतान’ के इस सदर्भ में यह बात दबे स्वर में कहनी पड़ती है क्योंकि इस फिल्म की मजबूत डोर को काफी हद तक इसके दूसरे अभिनेता माधवन ने संभाल रखा है। मगर ‘मैदान’ पूरी तरह से अजय की फिल्म है। लेकिन गजराज राव, प्रियामणि जैसे अच्छे कलाकारों की पूरी सपोर्ट भी उन्हें मिली है। इसके निर्देशक अमित शर्मा ‘बधाई हो’ के बाद किसी पहचान के मोहताज नहीं थे। यह फिल्म पूरी होने के लगभग डेढ़-दो साल बाद अब रिलीज हुई। ‘मैदान’ की लोकप्रियता की रफ्तार भी कुछ ऐसी ही रही है। असल में ऐसी फिल्में माउथ पब्लिसिटी के जरिये ही मुकाम हासिल करती हैं।
अच्छी फिल्मों का अहसास
वैसे देखा जाए,तो अजय का अच्छी फिल्मों के प्रति एक खास सॉफ्ट कॉर्नर रहा है जिसके चलते ‘लीजेंड ऑफ भगत सिंह’, ‘दृश्यम’ जैसी कई ऑफबीट फिल्में भी खूब कीं। अब तो यह अहसास उनके अंदर इस कदर गहरा गया कि मौका लगते ही ऐसी फिल्म लपक लेते हैं। इन दिनों भी वह ‘औरों में कहां दम था’, ‘रेड ’ जैसी दो ऐसी ही फिल्मों में काम कर रहे हैं। इसके अलावा भी उनके पास दो और मसाला फिल्में हैं। मगर अपनी लगभग पूरी हो चुकी नीरज पांडे की फिल्म ‘औरों में कहां दम था’ को लेकर वह कुछ ज्यादा उत्साहित हैं। कभी नीरज उन्हें लेकर ‘चाणक्य’ बनाना चाहते थे। वह डिब्बे में बंद हो गयी थी। इस प्रोजेक्ट को भी अजय फिर शुरू करना चाहते हैं।
काम में दखलंदाजी
असल में संजीदा निर्देशकों के प्रति शुरू से ही अजय का अनुराग रहा है। पर उनके निंदक आरोप लगाते हैं कि अजय अपने निर्देशकों के काम में ज्यादा हस्तक्षेप करते हैं। यह सवाल सुनते ही अजय थोड़ा तैश में आ जाते हैं,‘यह बेमतलब की बात है। मैं तो इतना चाहता हूं कि परदे पर मैं जब कोई बात कहूं या करूं ,तो सिर्फ मेरे व्यक्तित्व की वजह से वह दावा खोखला नजर न आयें। असल में मैं समर्पण भाव से अपने रोल को अंजाम देना चाहता हूं। इसलिए अपने निर्देशकों से काफी डिसकस करना मुझे पसंद है। इसे ही कुछ लोग मेरी दखलअंदाजी मानते हैं।’
प्रेस से दूरी!
प्रेस से दूर रहने की बात भी अजय को जरा पसंद नहीं। वह बताते हैं,‘दरअसल मैं अपना प्रोफाइल बहुत लो रखता हूं। आप जितना लो प्रोफाइल मेंटेन कर पाते हैं ,उतना कंटोवर्सी से दूर रहेंगे। वैसे जब काजोल से मेरा अफेयर चल रहा था ,तब मैं गॉसिप मैगज़ीन में छाया रहता था। जबकि पर्सनल लाइफ को पर्सनल ही रखना चाहता हूं।’
मतभेद नहीं
एक गॉसिप मैगजीन ने यह बात छाप दी थी कि रोहित शेट्टी से उनका काफी तनाव चल रहा है। जिसका जवाब अब अजय ने दे दिया है। कहते हैं,‘यह कितनी बकवास गॉसिप थी। खैर,मैं अब रोहित के साथ ‘सिंघम-3’ कर रहा ही रहा हूं। अगले साल गोलमाल फ्रेंचाइची की अगली फिल्म की शूटिंग शुरू करूंगा।

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