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चार साल से कर रही आर्गेनिक मशरूम की खेती

08:22 AM Jul 03, 2024 IST
रेवाड़ी के गांव घासेड़ा में दीपिका यादव मशरूम प्लांट में फसल उत्पादन की जानकारी देते हुए। -हप्र
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तरुण जैन/हप्र
रेवाड़ी, 2 जुलाई
महिला सशक्तिकरण और वोकल फॉर लोकल का इससे अच्छा उदाहरण और नहीं हो सकता। रेवाड़ी के गांव घासेड़ा की दीपिका यादव गांव के 500 गज के एक भूखंड में मशरूम की फार्मिंग से न केवल स्वयं आत्मनिर्भर हुई है, बल्कि उसने अन्य महिलाओं को भी रोजगार उपलब्ध करवाया है। तैयार की गई मशरूम की फसल के लिए दिल्ली, गुरुग्राम व अन्य स्थानों से उन्हें लगातार ऑर्डर मिल रहे हैं।
दीपिका यादव पिछले चार वर्षों से आर्गेनिक तरीके से मशरूम की खेती कर रही है। उनसे इस उपलब्धि पर जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि उनके पति सरकारी कर्मचारी हैं। चार वर्ष पूर्व वह पति के साथ गुजरात घूमने गई थी। वहां उसने आइसोलेटेड तरीके से तैयार की जा रही मशरूम की फसल को देखकर मन बनाया कि वह भी अपने गांव में मशरूम का प्लांट लगाएंगी। उन्होंने वहां से उत्पादन संबंधी सभी जानकारियां एकत्रित कीं और रेवाड़ी आकर इस मिशन पर काम शुरू कर दिया। उनके इस मिशन में उनके पति दीपक ने भी भरपूर साथ दिया।
उन्होंने कहा कि मशरूम की खेती हर जगह संभव नहीं है। इसके लिए विशेष तापमान की जरूरत होती है। गुजरात के 16 डिग्री तापमान को बरकरार रख आइसोलेटेड तरीके से पहले छोटे स्तर पर इसकी खेती शुरू की गई। इसके लिए एसी व टेम्प्रेचर मीटर आदि की भी व्यवस्था की गई। उसे उस समय भारी खुशी हुई जब उसकी मेहनत रंग लाई और पहले ही प्रयास में मशरूम की खेती सफल हुई। तत्पश्चात उसने इसे बड़े स्तर पर करने का निर्णय लिया और आज इसके सुपरिणाम सामने आए हैं कि लगभग 40 टन से ज्यादा सालाना मशरूम की पैदावार कर रही हैं।
इस मशरूम की लगातार डिमांड है और गुरुग्राम, दिल्ली व रेवाड़ी की मंडियों में इसे सप्लाई किया जाता है। उन्होंने कहा कि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि कैमिकलयुक्त खेती सेहत के लिए बहुत ही हानिकारक है। उन्होंने कहा कि मंडियों में मिलने वाली अधिकांश सब्जियां यूरिया या डीएपी खाद्य का प्रयोग कर उगाई जाती हैं जिसका असर बुरा इंसान की सेहत पर पड़ता है, लेकिन वे इस खेती में किसी भी तरह का कैमिकल यूज नहीं करते हैं। यह पूरी तरह से हेल्दी फूड है।
दीपिका ने कहा कि इस मशरूम की खेती से उसके अंदर आत्मविश्वास की वृद्धि हुई। उसे इस बात की खुशी है कि उसके कारण 10 महिलाओं को भी रोजगार मिला है। ये महिलाएं अपने सुधरे जीवनयापन व नियमित आय से बेहद खुश हैं। उन्होंने महिलाओं को मशरूम की फसल उगाना और काटना सिखाया। दीपिका अपनी इस उपलब्धि के लिए क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है।

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