करनाल में वार्ता विफल, किसानों ने तोड़े बैरिकेड्स, योगेंद्र यादव और टिकैत हिरासत में; दिल्ली-चंडीगढ़ हाईवे जाम!
विजय शर्मा/एजेंसियां
करनाल, 7 सितम्बर
करनाल जिला प्रशासन और संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं के बीच चली तीन राऊंड की वार्ता विफल होने के बाद तनाव का माहौल बन गया है। वार्ता विफल होने के बाद किसान नेता आगामी रणनीति तय करने के लिए महापंचायत स्थल की ओर रवाना हो गये। ‘एनडीटीवी’ के अनुसार किसानों ने प्रशासन द्वारा लगाये बैरिकेट्स तोड़ दिये और आगे बढ़ने लगे। इस बीच किसान नेता योगेंद्र यादव और टिकैत को हिरासत में लिये जाने की सूचना है। गुस्साये किसानों ने दिल्ली-चंडीगढ़ हाईवे जाम कर दिया।
इससे पहले बैठक से बाहर आये किसान नेता योगन्द्र यादव ने कहा कि प्रशासन के साथ तीन राउंड की वार्ता हुई है। लेकिन सरकार लीठचार्ज के लिए दोषी अधिकारी पर कार्रवाई के लिये तैयार नहीं है। उन्होंने कहा,‘हमने कहा कि दोषी अधिकारी पर कार्रवाई होनी चाहिये और परचा दर्ज होना चाहिये। लेकिन सरकार नहीं मानी। हमने कहा कि दोषी अधिकारी को सस्पेंड तो करो, लेकिन सरकार उसके लिए भी तैयार नहीं हुई।’ यादव ने कहा कि अब महांपचायत में आगे का निर्णय लिया जायेगा।
उल्लेखनीय है कि किसान संगठनों ने जिला सचिवालय के घेराव की घोषणा कर रखी थी। यादव ने कहा कि सरकार का ‘इलाज’ जनता ही कर सकती है। उन्होंने कहा कि हम उम्मीद के साथ आये हैं, हमने वार्ता से कभी इनकार नहीं किया। लोकतांत्रिक तरीके से वार्ता करें, हम सदा तैयार हैं। अब महापंचायत में जायेंगे, जो कुछ होगा शांतिपूर्ण तरीके से होगा। किसान नेता करनाल के तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा को सस्पेंड करने की मांग कर रहे थे। वार्ता विफल होने के बाद किसान नेता उठकर बाहर आ गए और अनाज मंडी की ओर निकल गए। करीब ढाई घंटे तक चली वार्ता के दौरान पहले भी 2 बार गतिरोध आया और नेता बैठक से बाहर आये। लेकिन आखिर तीसरे दौरान की वार्ता में भी समाधान न होने पर वह मंडी में महापंचायत स्थल की और रवाना हो गये।
आज सुबह करनाल पहुंचने के कुछ देर बाद भी किसान नेताओं का 11 सदस्यीय दल राकेश टिकैत और बलबीर सिंह राजेवाल की अगुवाई में प्रशासन से वार्ता के लिए जिला सचिवालय के लिए रवाना हो गया था। दल में भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी और योगेन्द्र यादव भी शामिल रहे। किसान नेताओं को वार्ता के सचिवालय लाने के लिए पुलिस ने 5 बेरिकेट हटाये। इससे पहले पुलिस अधिकारियों ने मंडी के सभी द्वारों की नाकेबंदी करके जीटी रोड व शहर की और आने वाले मार्गों पर डम्पर खड़े कर दिये ताकि किसान सचिवालय की और कूच न कर सकें।
वार्ता के लिये रवाना होने से पहले मीडिया संयुक्त किसान मोर्चा के शीर्ष नेता राकेश टिकैत ने कहा कि देश के किसानों को अपने हितों के लिए लंबे संघर्ष के लिए तैयार रहना होगा। करनाल महापंचायत में पहुंचने पर मीडिया से वार्ता करते हुए भाकियू नेता नेता राकेश टिकैत ने कहा कि अभी तो शुरूआत है ,इस तरह की महापंचायतें देश भर में होंगी। उन्होंने कहा कि सरकार बहुत टेढ़ी चीज होती है, आसानी से नहीं मानती। टिकैत ने कहा कि आजादी की लड़ाई में भी 90 साल लगे थे। किसानों को अपने हितों के लिए लंबे संघर्ष के लिए तैयार रहना होगा।
बरसात नहीं रोक पाई किसानों का हुजूम
करनाल में हुई आज हल्की बरसात के बाद इस बात की आशंका थी कि अगर तेज बारिश हुई तो महापंचायत में खलल पड़ सकता है। लेकिन इस दौरान हरियाणा पंजाब यूपी से किसानों के जत्थे करनाल अनाज मंडी में पहुंचते रहे और दोपहर 12 बजे तक मंडी में हजारों किसानों का हुजूम जमा हो गया। किसानों के जत्थे बसों, ट्रैक्टर और बाइक पर सवार होकर सभा स्थल पर पहुंचे और वरिष्ठ नेताओं के वार्ता के लिए रवाना होने के बाद भाषणबाजी के बीच सरकार विरोधी नारेबाजी करते रहे।
निगम कमिश्नर का विरोध
करनाल जिला सचिवालय में जब किसान नेताओं और अधिकारियों के बीच वाता चल रही थी। उसी दौरान नगर निगम करनाल के कमिश्रर मनोज कुमार मंडी में अचानक किसानों के मंच के निकट पहुंच गये। उन्हें देखकर किसान भड़क उठे और उनका घेराव कर लिया। गुस्साये किसान सरकार विरोधी नारेबाजी करते हुए कमिश्नर को पैदल मंडी गेट की ओर ले गये और इस विरोध के साथ ही उन्हें महापंचायत स्थल से दूर कर दिया गया। कमिश्नर ने मीडिया के सवालों पर कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की। उन्होंने कहा कि यह केवल कानून व्यवस्था का मामला है।
सचिवालय के बाहर हुई धक्का-मुक्की
किसान नेता जब वार्ता के लिए सचिवालय पहुंचे तो वहां मुक्की की स्थिति बन गई। सचिवालय पर पैरामिलिट्री फोर्स तैनात थी और जवानों ने किसान नेताओं को रोक रोक लिया। इसके बाद प्रशासन से मैसेज आया, तब तक फोर्स ने किसान नेताओं को वहां करीब पांच मिनट तक रोके रखा। बाद में बैरिकेड हटाकर किसानों को भीतर जाने दिया गया। इस दौरान किसान नेताअें के समर्थकों ने भी सचिवालय के भीतर जाने का प्रयास किया तो बैरिकेड पर धक्का-मुक्की हुई। पैरामिलिट्री फोर्स ने उन्हें भीतर नहीं जाने दिया और कहा कि सिर्फ 11 लोग ही प्रशासन से बात करेंगे।
ये था मामला
करनाल में 28 अगस्त को भाजपा की प्रदेश स्तरीय बैठक थी। किसानों ने बैठक का विरोध करने का ऐलान किया था। उन्हें शहर की और बढ़ने से रोकने के लिए पुलिस ने 28 अगस्त को बसताड़ा टोल प्लाजा पर किसानों पर लाठीचार्ज किया था, जिसमें कई किसान घायल हो गए थे। किसान नेताओं का कहना है कि पुलिस लाठीचार्ज में घायल हुए करनाल के रायपुर जाटान गांव के किसान सुशील काजल ने उसी रात दम तोड़ दिया था। इसके बाद 30 अगस्त को भाकियू ने घरौंडा अनाज मंडी में महापंचायत करके हरियाणा सरकार से तीन मांगें की थी। इनमें सुशील काजल के परिवार को 25 लाख रुपए मुआवजा व एक सदस्य को नौकरी देने, घायल किसानों को 2-2 लाख रुपए मुआवजा और लाठीचार्ज के आदेश देने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग शामिल की थी। भाकियू प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने सरकार को अल्टीमेटम दिया था कि अगर 6 सितंबर तक उनकी ये तीनों मांगे पूरी नहीं की गई तो 7 सितंबर को करनाल में दोबारा महापंचायत कर सचिवालय का घेराव किया जाएगा।