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बाढ़ से खेतों में जमा रेता बेच सकेंगे किसान, सरकार होगी हिस्सेदार

04:59 PM Aug 08, 2023 IST
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  1. कुल मूल्य का एक तिहाई मिलेगा किसान को, दो तिहाई पर सरकार का होगा हक
  2. यह फार्मूला अपनाने वाले किसानों को नहीं मिलेगा सरकारी मुआवजा
  3. 5 लाख 20 हजार एकड़ से अधिक कृषि एरिया आया बाढ़ की चपेट में
    दिनेश भारद्वाज
    चंडीगढ़, 8 अगस्त
    हरियाणा के उन किसानों के लिए यह अच्छी खबर हो सकती है, जिनके खेतों में बाढ़ की वजह से भारी मात्रा में रेता जमा हो गया है। किसान अब इस रेते को मार्केट में बेच सकेंगे। सरकार का आकलन है कि किसानों को मिलने वाले सरकारी मुआवजे से कहीं अधिक फायदा किसानों को रेते की बिक्री से होगा। इसके लिए सरकार ने पॉलिसी बनाई है। इसमें शर्त यह रहेगी कि रेता बेचने की परमिशन उन्हीं किसानों को मिलेगी, जो मुआवजा राशि छोड़ने की अनुमति देंगे।
    पॉलिसी के तहत सरकार की ओर से डीसी की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया जाएगा। खेतों में जमा रेते को खेत में ही एक जगह इकट्‌ठा किया जाएगा। इसके बाद डीसी की कमेटी इसकी ऑक्शन करवाएगी। रेते से जितना पैसा मिलेगा, उसका एक तिहाई पैसा किसान को मिलेगा और दो तिहाई सरकार के पास आएगा। इसमें शर्त यह रहेगी कि किसानों को 10 लाख रुपये से अधिक की राशि रेते की बिक्री से नहीं मिल पाएगी।
    जिन किसानों की बाढ़ की वजह से पूरी फसल बर्बाद हो गई है। उन्हें सरकार की नीति के तहत 15 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा मिलता है। रेते की बिक्री से किसानों को इससे दो गुणा से भी अधिक पैसा मिलने की उम्मीद है। मंगलवार को यहां मीडिया से रूबरू हुए डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्‌टर इस पॉलिसी को मंजूरी दे चुके हैं। उन्होंने कहा, अगर एक एकड़ का रेता 1 लाख रुपये में बिकता है तो किसान को इसमें से 33 हजार रुपये मिलेंगे, जो मुआवजा राशि से दोगुणा से अधिक हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने अगले एक महीने में खेतों से पूरा रेता हटाने का निर्णय लिया है। यमुना में तेज बहाव की वजह से कई जगह प्राइमरी बांध टूटे तो कई जगहों पर सैकेंडरी बांध भी क्षतिग्रस्त हुए। ऐसे में किसानों के खेतों में रेता जमा हो गया। यमुनानगर, करनाल, पानीपत, सोनीपत, पलवल और फरीदाबाद में इसकी सबसे अधिक शिकायत है। बाढ़ की वजह से 1476 गांवों में 5 लाख 20 हजार एकड़ के करीब जमीन में फसलें खराब हुई।

    4 लाख किसानों ने दर्ज कराई रिपोर्ट

    हालांकि ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर अभी तक 4 लाख 8 हजार एकड़ भूमि में नुकसान की रिपोर्ट किसानों ने दर्ज करवाई है। पोर्टल पर सूचना 18 अगस्त तक दी जा सकती है। इसके बाद सरकार इसकी वेरिफिकेशन करवाएगी और नियमों के तहत किसानों को मुआवजा दिया जाएगा। किसानों द्वारा दी गई जानकारी के हिसाब से सरकारी अधिकारियों ने उसका मूल्यांकन करना शुरू कर दिया है। पटवारी, कानूनेगा, एसडीएम और डीसी को इस काम को जल्द निपटाने के आदेश दिए हैं।

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    7 सितंबर तक मुआवजा देने का प्रयास

    सरकार की कोशिश है कि 7 सितंबर तक किसानों को उनकी खराब हुई फसलों का मुआवजा उनके बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिया जाए। बाढ़ की वजह से प्रदेश में 47 लोगों की मौत होने की सूचना सरकार के पास है। इनमें से 40 लोगों के परिजनों को 4 लाख रुपये के हिसाब से 1 करोड़ 60 लाख रुपये की आर्थिक मदद की जा चुकी है। सात किसानों के परिजनों को मुआवजे के लिए संबंधित डीसी द्वारा प्रक्रिया की जा रही है।

    क्षतिपूर्ति सहायक होंगे नियुक्त

    डिप्टी सीएम दुष्यंत ने माना कि प्रदेश में पटवारियों की कमी है। इसे ध्यान में रखते हुए बाढ़ प्रभावित एरिया के डीसी को आदेश दिए हैं कि वे क्षतिपूर्ति सहायक नियुक्त करें ताकि पटवारियों की मदद हो सके। क्षतिपूर्ति सहायक इसलिए नियुक्त होंगे ताकि किसानों के अलावा आम लोगों द्वारा नुकसान को लेकर की गई रिपोर्ट की वेरिफिकेशन का काम जल्द निपटाया जा सके।
    गिरदावरी सहायक भी लगेंगे
    राज्य में साल में दो बार सामान्य गिरदावरी होती है। पटवारियों की कमी की वजह से यह काम देरी से होता है। इस बार पटवारियों ने अपनी मांगों के समर्थन में अतिरिक्त सर्कल के कार्यभार को छोड़ दिया है। दुष्यंत ने कहा कि ऐसे में सरकार ने तय किया है कि क्षतिपूर्ति सहायक की तर्ज पर गिरदावरी सहायक नियुक्त किए जाएंगे। गिरदावरी सहायक नियुक्त होने से गिरदावरी का काम बाधित नहीं होगा।

    4500 मकान हुए क्षतिग्रस्त

    बाढ़ और जलभराव की वजह से प्रदेशभर में 4500 के करीब मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं। इनमें से 272 मकान पूरी तरह से गिर गए जबकि 4 हजार 236 में नुकसान हुआ है। कइयों के मकानों में दरारें आ गईं तो किसी की छत टपक गई। ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर 475 लोगों ने आवेदन करके कहा है कि उनके मकान पूरी तरह से ध्वस्त हो गए। इनमें से 108 लोगों को सरकार मुआवजा दे चुकी है। बाकी मकानों के नुकसान का एडीसी की अध्यक्षता वाली कमेटियां मूल्यांकन कर रही हैं।

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