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प्राकृतिक खेती की ओर लौटने लगे किसान, 636 ने किया आवेदन

10:37 AM Dec 29, 2023 IST
प्राकृतिक खेती का फाइल फोटो।

रमेश सरोए/हप्र
करनाल, 28 दिसंबर
फसलों में घुलते जहरीले रसायनों का असर मानवीय जीवन से लेकर पर्यावरण पर साफ तौर पर देखा जा रहा हैं, जिससे सरकारें काफी चितिंत हैं। लोगों को गुणवत्तापूर्ण अन्न मिले, इसे देखते हुए सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए गंभीर प्रयास शुरू कर दिये हैं जिसके सकारात्मक नतीजे सामने आने लगे है। करनाल में 636 किसानों ने प्राकृतिक खेती की ओर लौटने के लिए आवेदन किया है जिन्हें सरकार द्वारा चलाई गई योजना का लाभ मिलेगा। कृषि अधिकारी किसानों को लगातार प्राकृतिक खेती के फायदों से अवगत कराने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चला रहे हैं। उनका मानना है कि शुरूआत छोटी ही सही, लेकिन आने वाले दिनों में मुहिम बड़े स्तर पर पहुंचेंगी जिसका फायदा हर किसी को मिलेगा। उनकी थाली में ऐसा स्वस्थ भोजन होगा, जो बीमारीमुक्त अर्थात रसायनमुक्त होगा यानी प्राकृतिक तरीके से तैयार किया हुआ होगा। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग करनाल के तकनीकी सहायक डॉ. सुनील ने बताया कि जिला में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए 1000 हजाए एकड़ का टारगेट दिया गया है, जो जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा।
डॉक्टरों की माने तो आज जो अनाज पैदा किया जा रहा हैं, उसे पैदा करने के लिए भारी मात्रा में दवाइयां, यूरिया आदि का इस्तेमाल किया जा रहा है जिससे फसल में जहरीले रसायन आ जाते हैं, जो भोजन के रूप में हमारे शरीर में पहुंचते है जिससे हम कई गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। इसके अलावा रसायनों के अंधाधुंध छिड़काव व यूरिया के प्रयोग से पर्यावरण पर बुरा असर पड़ रहा है। इससे कई जटिल समस्याएं पैदा हो रही हैं जिनका समाधान प्राकृतिक खेती ही है।

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बड़ी समस्याओं का समाधान, प्राकृतिक खेती : वजीर सिंह

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग करनाल के उप कृषि निदेशक डॉ. वजीर सिंह ने बताया कि किसान खेती में अत्याधिक रसायनों, यूरिया आदि का प्रयोग कर रहे है, जिससे खेती बहुत महंगी हो गई है। इस लागत को कम करने और गुणवत्ता वाली फसलों के लिए सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में खाद्य असुरक्षा, किसानों का संकट, भोजन और पानी में कीटनाशकों और उर्वरक अवशेषों से उत्पन्न होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं, ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं का समाधान प्राकृतिक खेती करती है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती में मिट्‌टी में न तो कई रासायनिक और न ही जैविक खाद डाली जाती है। वास्तव में कोई भी बाहरी उर्वरक मिट्‌टी में नहीं मिलाया जाता या पौधों को दिया जाता है। उप कृषि निदेशक ने कहा कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए देसी गाय की खरीद पर 25 हजार रुपए की सब्सिडी व प्राकृतिक खेती के लिए जीवामृत का घोल तैयार करने के लिए 4 बड़े ड्रमों के लिए हर किसान को 3 हजार रुपए की सहायता राशि दी जा रही है।

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