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परंपरागत नहीं, आधुनिक फसलें उगाएं किसान, बढ़ेगी आय : मनोहर लाल

11:47 AM Oct 23, 2023 IST
परंपरागत नहीं  आधुनिक फसलें उगाएं किसान  बढ़ेगी आय   मनोहर लाल
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चंडीगढ़, 22 अक्तूबर (ट्रिन्यू)
परंपरागत फसलों की खेती करने की बजाय आज किसानों को आधुनिक फसलों की खेती करने की आवश्यकता है। इससे उनकी आय में वृद्धि तो होगी ही साथ ही पर्यावरण का संरक्षण भी सुनिश्चित होगा। फसल विविधीकरण ही किसान का भविष्य है। इसी दिशा में प्रदेश सरकार ने एक नई पहल करते हुए अपनी तरह की अनूठी मेरा पानी-मेरी विरासत योजना शुरू की है। इसके तहत फसल विविधीकरण करते हुए जल संरक्षण सुनिश्चित करना मुख्य उद्देश्य है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने रविवार को यह बात कही। उन्होंने कहा कि योजना बेहद कारगर सिद्ध हो रही है और इसकी सफलता को देखते हुए वर्ष 2023-24 में 42480 करोड़ लीटर पानी की बचत का लक्ष्य निर्धारित किया है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि खरीफ-2020 से आरंभ हुई मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के तहत सरकार द्वारा धान की फसल को वैकल्पिक फसलों जैसे मक्का, कपास, बाजरा, दलहन, सब्जियां व फल द्वारा विविधीकरण करने के लिए किसानों को 7000 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। खरीफ वर्ष 2020 में 41,947 किसानों ने कुल 63,743 एकड़ क्षेत्र में फसल विविधीकरण को अपनाया गया तथा इसके लिये 45 करोड़ रुपये का अनुदान प्रदान किया गया।
इससे लगभग कुल 22565 करोड़ लीटर पानी की बचत की गई। इसी प्रकार, खरीफ 2023 में पूर्व वर्ष की वैकल्पिक फसलों को इस वर्ष में भी शामिल किया गया है तथा इस योजना में कुल 1.20 लाख एकड़ का फसल विविधीकरण के तहत लक्ष्य रखा गया है, जिस पर लगभग 84 करोड़ रुपये के अनुदान राशि खर्च होने की सम्भावना है। इस योजना में लगभग कुल 42480 करोड़ लीटर पानी की बचत का लक्ष्य है। 31 जुलाई, 2023 तक कुल 32150 किसानों ने अपनी 70170 एकड़ फसल का इस योजना के तहत पंजीकरण करवाया है। उन्होंने कहा कि मृदा स्वास्थ्य को गिरावट से बचाने और खतरनाक कीटनाशकों के उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ने प्राकृतिक खेती योजना लागू की है। वर्ष 2023-24 में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए 20,000 एकड़ (16000 एकड़ कृषि और 4000 एकड़ बागवानी) का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए सरकार ने एक समर्पित प्राकृतिक खेती पोर्टल शुरू किया है और अब तक 9169 किसानों ने पंजीकरण करते हुए प्राकृतिक खेती में अपनी रूचि दिखाई है। योजना के तहत किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए 3000 रुपये 4 ड्रम खरीदने पर, देसी गाय की खरीद के लिए 25000 रुपये की सहायता प्रदान की जाएगी तथा प्राकृतिक खेती उत्पाद की ब्रांडिग व पैकेजिंग पर प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान किया है।

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ग्रामीण सड़कें सुदृढ़ करना प्राथमिकता

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क, पेयजल व अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर सुदृढ़ करना सरकार की प्राथमिकता है। इस कड़ी में उन्होंने 7 जिलों नामतः चरखी दादरी, हिसार, कैथल, पलवल, नूंह, महेंद्रगढ़ और झज्जर के लिए ग्रामीण संवर्धन कार्यक्रम के तहत 106.49 करोड़ रुपये की अनेक परियोजनाओं को प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की है। सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि इनमें 15 करोड़ रुपये से अधिक की 15 नई परियोजनाएं भी शामिल हैं। ग्रामीण क्षेत्र की जल आपूर्ति प्रणाली को मजबूत करने के प्रयास के तहत 7 जिलों में ग्रामीण संवर्धन कार्यक्रम के तहत 106.49 करोड़ रुपये ग्रामीण संवर्धन के तहत स्वीकृत परियोजनाओं में गांव ढांड, जिला कैथल में स्वर्ण जयंती महाग्राम योजना के तहत सीवरेज नेटवर्क और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण शामिल है। इसी प्रकार 52.12 करोड़ रुपये की लागत से झज्जर जिले के गांव निमाना और सोंधी के लिए स्वतंत्र जल कार्य, 10.14 करोड़ रुपये की लागत से महेंद्रगढ़ मंडल के लिए जेजेएम कवरेज कार्यक्रम के तहत खर्च किए जाने हैं।

खातों को अपडेट नहीं कर रही पंचायतें, सरकार ने भेजे नोटिस

प्रदेश की कई ग्राम पंचायतों के द्वारा बैंक खातों को अपडेट नहीं किया जा रहा है। इसके चलते विकास एवं पंचायत विभाग की तरफ से करीब दो दर्जन पंचायतों को नोटिस जारी किए गए हैं। सरकार ने पंचायतों से स्पष्टीकरण मांगा है कि बार-बार कहने के बाद भी पंचायतें अपने बैंक खातों को अपडेट क्यों नहीं करवा रही हैं। बैंक खातों के अपडेट नहीं होने के कारण 15वें वित्त आयोग की राशि पंचायतों तक नहीं पहुंच पा रही है, जिसके कारण वहां का विकास कार्य शुरू नहीं हो पा रहा है। राज्य के पंचायत विभाग के अधिकारियों के अनुसार बैंक खातों के अपडेट नहीं करने की वजह कुछ और भी हो सकती है। बैंक खातों के अपडेट होते ही पंचायतों के खातों की जानकारी सार्वजनिक हो जाएगी, जिससे पंचायतों को भेजे गए सरकारी धन के दुरुपयोग के बारे में पता लग जाएगा। ऐसे में सरपंचों और पूर्व सरपंचों के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।

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