पंजाब में चार जगह हाईवे पर किसानों का पक्का मोर्चा
चंडीगढ़, 26 अक्तूबर (ट्रिन्यू)
पंजाब की मंडियों में धान की निर्बाध खरीद, उठान, पराली और डीएपी खाद की आपूर्ति के मुद्दे को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने राज्य में चार स्थानों पर राष्ट्रीय राजमार्गों को अनिश्चित काल के लिए जाम कर दिया है। शनिवार दोपहर करीब 12 बजे संगरूर के बडरूखां, मोगा के डगरू, कपूरथला के फगवाड़ा, गुरदासपुर के सठयाली में किसानों और मजदूरों ने मुख्य सड़कों पर प्रदर्शन शुरू कर दिया। उन्होंने राज्य और केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। एेलान किया गया कि जब तक किसानों व श्रमिकों की मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक धरना जारी रहेगा।
राष्ट्रीय राजमार्गों पर विरोध प्रदर्शन के कारण कई किलोमीटर लंबा जाम लग गया। लोग गांवों से वैकल्पिक रास्तों का इस्तेमाल करने लगे, तो वहां भी कई किलोमीटर तक वाहनों की कतारें लग गईं।
फगवाड़ा धरने पर किसान नेता सरवन सिंह पंधेर, सतनाम सिंह बाहरू और मंजीत सिंह राय ने ऐसी स्थिति के लिए केंद्र और राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार ने पिछले साल शैलरों से फसल नहीं उठाई थी, तो राज्य सरकार को समय रहते यह मामला केंद्र के समक्ष उठाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार किसी भी मामले में पहले प्रबंध नहीं करती, जब पानी सिर के ऊपर पहुंच जाता है, तब हाथ-पांव मारती है।
किसान नेताओं ने कहा कि पंजाब में डीएपी खाद का संकट अभी से दिख रहा है। पंजाब को 6.25 लाख मीट्रिक टन डीएपी की जरूरत है, जबकि राज्य के पास सिर्फ 1.25 लाख टन ही खाद है। पंजाब सरकार को डीएपी खाद के मुद्दे को समय पर हल करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पराली जलाने को लेकर किसानों के खिलाफ पुलिस केस दर्ज कर रही है, जुर्माना लगा रही है और रेड एंट्री की जा रही है, जो पूरी तरह से गलत कदम है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसानों को पराली जलाने की वैकल्पिक व्यवस्था दे। इससे पहले किसानों पर दर्ज मुकदमे रद्द किए जाएं और रेड एंट्री भी खत्म की जाए। नेताओं ने कहा कि पंजाब और केंद्र सरकार मिलकर हालात सुधारें, नहीं तो संघर्ष तेज किया जाएगा।
फंसे रहे आम लोग
पंजाब में राष्ट्रीय राजमार्गों पर किसानों के प्रदर्शन के कारण कई किलोमीटर लंबा जाम लग गया, जिससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। हालांकि, एंबुलेंस, पुलिस और अन्य एमरजेंसी के लिए वैकल्पिक इंतजाम किए गये थे, लेकिन आम लोग कई-कई घंटे परेशान होते रहे।