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स्मार्ट-रिचार्ज मीटर के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन

08:22 AM Dec 19, 2024 IST
हिसार में बुधवार को मांगों को लेकर नारेबाजी करते किसान सभा के सदस्य। -हप्र

हिसार, 18 दिसंबर (हप्र)
बिजली कानून को रद्द कर स्मार्ट/रिचार्ज मीटर योजना वापस लेने की मांग को लेकर बुधवार दोपहर अखिल भारतीय किसान सभा हरियाणा ने विद्युत सदन में बिजली निगम के एमडी कार्यालय पर धरना दिया। सैकड़ों आंदोलनकारियों ने बिजली विभाग के एसई को ज्ञापन दिया।
उन्होंने किसानों को स्थानीय मुद्दों के समाधान के लिए एमडी से किसान प्रतिनिधिमंडल की मीटिंग करवाने और समाधान करने का आश्वासन दिया। किसानों ने बॉर्डर पर किसानों को रोकने और दमन करने की सख्त शब्दों में निंदा की। प्रदर्शनकारी किसानों ने राज्यसभा सदस्य रामचंद्र जांगड़ा द्वारा किसान आंदोलन पर की गई टिप्पणी का विरोध किया। सभी ने एक मत से कहा कि सांसद माफी मांगे अन्यथा हर जगह उनका विरोध किया जाएगा। आंदोलन की अध्यक्षता राज्य प्रधान बलबीर सिंह, जिला प्रधान शमशेर नंबरदार, रामफल देशवाल, राजेंद्र बाटू, रामप्यारी ने संयुक्त रूप से की।
किसान सभा के राज्य महासचिव सुमित दलाल ने बताया कि किसान आंदोलन के बाद केंद्र सरकार ने किसानों को लिखित आश्वासन दिया जिसके बिंदु 4 में केंद्र सरकार ने स्पष्ट लिखा कि बिजली बिल में किसान पर असर डालने वाले प्रावधानों पर सबसे पहले स्टेकहोल्डर्स/संयुक्त किसान मोर्चा से चर्चा होगी। मोर्चा से चर्चा होने के बाद ही बिल को संसद में पेश किया जाएगा लेकिन केंद्र सरकार अपने इस वादे से मुकर गई। अब इस कानून के प्रावधानों को लागू करना शुरू कर दिया जिसका एक उदाहरण स्मार्ट/प्रीपेड मीटर योजना है, जिसे बिजली मंत्री कह रहे हैं कि प्रदेश में जल्द लागू किया जाएगा जिसकी शुरुआत सरकारी कर्मचारियों से होगी।

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‘बड़े घरानों को फायदा पहुंचाने की स्कीम’

सरकार की ये प्रीपेड मीटर योजना आम जन के पक्ष की नहीं बल्कि बड़े कॉरपोरेट घरानों के फायदे के लिए लागू की गई स्कीम है जिसके चलते बिजली के सार्वजनिक क्षेत्र पर प्राइवेट कॉरपोरेट कंपनियों का कब्जा होगा। बिजली महंगी होगी, सब्सिडियां खत्म हो जाएंगी, किसानों को मिलने वाली खेत की सस्ती बिजली महंगी हो जाएगी। किसान सभा राज्य प्रधान बलबीर सिंह ने बताया कि आज केंद्र सरकार तमाम किसान विरोधी कदमों को लागू कर रही है चाहे वो स्मार्ट मीटर योजना हो या हाल में लाई गई कृषि व्यापार नीति जिसके माध्यम से सरकार मंडी व्यवस्था को चौपट कर प्राइवेट मंडी योजना और कॉरपोरेट खेती को लागू करना चाहती है।

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