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Farmers Problems : भाजपा राज में सूख रहा अन्नदाता, भूपेंद्र सिंह हुड्डा बोले - एमएसपी, बीज और खाद की त्रासदी पर किसान बेहाल

04:22 PM Jun 30, 2025 IST
farmers problems   भाजपा राज में सूख रहा अन्नदाता  भूपेंद्र सिंह हुड्डा बोले   एमएसपी  बीज और खाद की त्रासदी पर किसान बेहाल
भूपेंद्र सिंह हुड्डा की फाइल फोटो।
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चंडीगढ़, 30 जून (ट्रिब्यून न्यूज सर्विस)

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Farmers Problems : पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि कि जब से भाजपा सत्ता में आई है, किसान एमएसपी, खाद और बीज के लिए तरस गए हैं। आज हालात यह है कि पुलिस की सुरक्षा में किसानों को खाद बांटनी पड़ रही है। यानी ना किसानों को मक्का की एमएसपी मिल रही है और ना ही सूरजमुखी की। खाद की किल्लत के चलते किसानों को भारी बदइंतजामी कालाबाजारी और उत्पादन में घाटे का सामना करना पड़ रहा है।

किसानों के लिए खरीफ की बिजाई मुश्किल होती जा रही है। डबल इंजन की सरकार में किसानों को चार गुना परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हुड्डा ने कहा कि केंद्र और प्रदेश दोनों जगह बीजेपी की सरकार होने के बावजूद खरीफ फसल के लिए केंद्र से हरियाणा को मिलने वाली खाद के आधे से भी कम स्टॉक की सप्लाई हुई है। क्योंकि हरियाणा को लगभग 14 लाख मिट्रिक टन खाद मिलनी थी, लेकिन अभी 6 लाख मिट्रिक टन से भी कम खाद उपलब्ध हो पाई है।

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पूर्व सीएम ने कहा कि खाद की किल्लत को लेकर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि धान की रोपाई का सीजन शुरू है। खाद के लिए किसान दर-दर भटक रहे हैं और हमेशा की तरह सरकार हाथ पर हाथ रखे बैठी है। हर फसली सीजन में किसानों को खाद की कमी का सामना करना पड़ता है, क्योंकि भाजपा सरकार समय रहते कोई इंतजाम नहीं करती। इसके चलते किसानों को ब्लैक में महंगा खाद खरीदना पड़ता है, जिससे उनपर आर्थिक बोझ भी पड़ता है और समय पर खाद ना मिलने से उत्पादन भी प्रभावित होता है।

हुड्डा ने कहा कि प्रदेश के इतिहास की यह पहली सरकार है, जिसके कार्यकाल में थानों के भीतर खाद बांटनी पड़ी। हर सीज़न में किसानों, उनके परिवारों, महिलाओं व बच्चों तक को लंबी-लंबी कतारों में कई-कई दिन इंतजार करना पड़ता है, तभी समय पर डीएपी व यूरिया नहीं मिल पाता। इतना ही नहीं, मंडियों में मक्का और सूरजमुखी लेकर पहुंचे किसान खरीदारी के इंतजार में बैठे हैं। लेकिन सरकारी एजेंसियां खरीद करने को तैयार नहीं है इसलिए उन्हें एमएसपी से 1000-1500 रुपए कम रेट पर फसल बेचनी पड़ रही है।

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