Farmers' March: दिल्ली कूच के लिए सीमाओं पर डटे किसानों की पुलिस के साथ झड़प, जाम भी लगा
04:38 PM Dec 02, 2024 IST
नयी दिल्ली, 2 दिसंबर (भाषा)
Farmers Protest March: नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण में वर्षों से लंबित विभिन्न मांगों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर सोमवार को यहां के किसान दिल्ली कूच करने के लिए सीमा पर डटे हुए हैं।
किसानों के राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की ओर मार्च के मद्देनजर पुलिस ने कई बैरिकेड लगा दिए हैं, जिससे सोमवार को दिल्ली-नोएडा सीमा पार करने वाले यात्रियों को भारी यातायात जाम का सामना करना पड़ा। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सीमा पर जांच की जा रही है।
अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (पूर्व) सागर सिंह कलसी ने कहा, ‘‘हमने पूर्वी दिल्ली की सीमाओं पर पर्याप्त व्यवस्था की है और दंगा-रोधी उपकरणों सहित सभी एहतियाती कदम उठाए हैं। हम सतर्कता के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं और इलाके में वाहनों की सुचारू आवाजाही के लिए यातायात पुलिस के साथ समन्वय भी कर रहे हैं।''
ग्रेटर नोएडा की निवासी अपराजिता सिंह ने कहा कि चिल्ला बॉर्डर पर लगाए गए बैरिकेड से यात्रियों को असुविधा हो रही है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उस हिस्से से गुजरने में लगभग एक घंटा लग गया। पुलिस ने दिल्ली-नोएडा सीमा के दोनों ओर बैरिकेड लगा दिए है, जिससे यातायात जाम लग गया है, खासकर नोएडा से दिल्ली की ओर जाने वाले मार्ग पर।''
उधर, दिल्ली की ओर कूच करने के प्रयास में उनकी पुलिस के साथ झड़प हुई तथा दिल्ली से सटी सीमाओं पर भीषण जाम लग गया है। दिल्ली कूच के लिए ट्रैक्टर ट्रॉली और अन्य वाहनों पर आए किसानों ने अपने अपने संगठन के बैनर तले, नोएडा में महामाया फ्लाईओवर के पास एकत्र होकर नारेबाजी की।
पुलिस ने उन्हें आगे बढ़ने से रोकने का प्रयास किया और इस दौरान किसानों की उनके साथ झड़प हुई। पुलिस ने उन्हें नोएडा के दलित प्रेरणा स्थल के गेट नंबर दो पर रोक दिया है और किसान वहीं बैठ कर अपनी मांगों के समर्थन में नारे लगा रहे हैं। पुलिस ने बताया कि यातायात को अन्य मार्गों की तरफ मोड़ दिया गया है जिससे नोएडा से दिल्ली की तरफ जाने के लिए चिल्ला, कालिंदी कुंज, डीएनडी सीमा पर वाहनों की लंबी कतार देखी जा रही है।
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता डॉ. रुपेश वर्मा ने दावा किया कि मोर्चा अबकी बार किसानों की मांगों को हर हाल में पूरी करवा कर वापस लौटेगा। उन्होंने बताया कि किसान अधिगृहित जमीन के एवज में मिलने वाले सात प्रतिशत और पांच प्रतिशत भूखंड के बदले 10 प्रतिशत भूखंड आवंटन की मांग कर रहे हैं। उनकी मांगों में नये भूमि अधिग्रहण कानून के सभी लाभों को लागू करना भी शामिल है। उन्होंने कहा कि 10 फीसदी भूखंड आवंटन का मसला वर्षों से लंबित है।
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