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अधिकारियों की लापरवाही से समराला मंडी में किसान परेशान

07:37 AM Apr 24, 2025 IST
मनजीत सिंह ढींढसा जिला अध्यक्ष और हरदीप सिंह भरथला।

समराला, 23 अप्रैल (निस)
भले ही सरकार और स्थानीय प्रशासन गेहूं की खरीद और मंडियों में सुचारू प्रबंधों के दावे कर रहे हों, लेकिन असलियत वही किसान जानते हैं जो इस परेशानी से गुजर रहे हैं। आम किसान अपनी व्यथा केवल अपनी यूनियन के नेताओं के पास ही बयां करता है। भारतीय किसान यूनियन (लक्खोवाल) के जिला प्रधान मनजीत सिंह ढींडसा और उप प्रधान हरदीप सिंह भरथला ने कहा कि पंजाब सरकार द्वारा खरीफ की फसल खरीद को लेकर किए जा रहे दावों की पोल अनाज मंडियों में हो रही किसानों की परेशानी ने खोल कर रख दी है। उन्होंने बताया कि समराला की अनाज मंडी में सरकारी खरीद नाम मात्र ही हो रही है, जबकि मंडियों में गेहूं का सीजन लगभग समाप्ति की ओर है, परंतु प्रशासन की ओर से अभी तक दुकानों का अलॉटमेंट लागू नहीं हुआ है। कई एजेंसियों ने तो खरीद भी बंद कर दी है। सरकारी सिस्टम की हालत इतनी खराब है कि यह भी स्पष्ट नहीं कि कौन-सी दुकान से किस सरकारी एजेंसी को खरीद करनी है। उन्होंने आरोप लगाया कि हर रोज एजेंसियों को बदल दिया जाता है। उन्होंने कहा कि गेहूं में नमी की मात्रा के नाम पर किसानों को कथित तौर पर ठगा जा रहा है। जैसे चावल में नमी मापी जाती है, वैसे ही गेहूं में नमी मापने पर भी शक जाहिर किया गया। उन्होंने कहा कि अफसरशाही पूरी तरह बेलगाम है और उसे सरकार की कोई परवाह नहीं। उन्होंने आरोप लगाया कि अफसरों की मनमानी के कारण किसान मंडियों में परेशान हो रहे हैं। मंडियों में प्रबंध नाममात्र हैं। मौसम की खराबी के कारण किसानों की सांसें हर वक्त अटकी रहती हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री और हलका विधायक को कागजी बयान देने की बजाय मंडियों में आकर देखना चाहिए कि कैसे किसान गेहूं की बोरियों पर रातें गुजारने को मजबूर हैं। किसान नेताओं ने कहा कि सीजन समाप्ति के कगार पर है, लेकिन वेयरहाउस, पनग्रेन, पनसप जैसी एजेंसियों में से अभी तक कोई भी एजेंसी समराला मंडी नहीं पहुंची है। एजेंसियों का मंडियों में न पहुंचना ‘आप’ सरकार की बहुत बड़ी नाकामी को दर्शाता है, जिससे स्पष्ट है कि पंजाब का लोकतांत्रिक ढांचा हिल चुका है। अफसरशाही अपनी मर्जी से काम कर रही है और आम लोग परेशानी झेल रहे हैं। उन्होंने सरकार को कड़ी चेतावनी दी कि अगर प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो बीकेयू (लक्खोवाल) प्रशासनिक अधिकारियों के दफ्तरों के बाहर धरना देगी।

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