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महापंचायत, लघु सचिवालय के घेराव पर अड़े किसान

10:11 AM Sep 07, 2021 IST
महापंचायत  लघु सचिवालय के घेराव पर अड़े किसान
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विजय शर्मा/हप्र

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करनाल, 6 सितंबर

7 सितंबर मंगलवार को करनाल में महापंचायत करने और लघु सचिवालय के अनिश्चितकालीन घेराव के किसान संगठनों के ऐलान के बाद जिले में चप्पे-चप्पे में पुलिस बल तैनात कर दिया है। जिले में फोर्स की 40 कंपनियां तैनात की गई हैं, सीआईएसएफ, बीएसएफ, आरपीएफ की 10 कंपनियां भी शामिल हैं। कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए जिले में 5 एसपी और 25 डीएसपी तैनात किये गये हैं। सोमवार को जिला प्रशासन और किसानों के बीच बैठक बेनतीजा समाप्त हो गई। किसान नेता महापंचायत करने और लघु सचिवालय का घेराव करने पर अड़े रहे। वहीं, प्रशासन ने कहा कि किसी भी कीमत पर घेराव या जीटी रोड जाम नही करने दिया जायेगा।

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डीसी निशांत कुमार यादव ने कहा कि किसान नेताओं से वार्ता की गई है, लेकिन वे 28 अगस्त को लाठीचार्ज में घायल और जान गंवाने वाले किसान को मुआवजा देने की मांग पर अड़े रहे। किसानों ने यह मांग भी की है कि लाठीचार्ज के दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाये। उनकी मांगें न्यायसंगत नहीं हैं। डीसी ने कहा कि नेशनल हाईवे व लघु सचिवालय का घेराव किसी भी कीमत पर मंजूर नहीं होगा। जो लोग शांति व कानून व्यवस्था को भंग करेंगे, उनके साथ सख्ती से निपटा जाएगा। महापंचायत में किसानाें की जो भी मांग जायज होंगी वे उनको मानेंगे। दूसरी ओर हाई-वे जाम करना और लघु सचिवालय का घेराव करना गैर कानूनी है, इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।

सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध

करनाल में सोमवार को पत्रकारों को सुरक्षा प्रबंधों की जानकारी देते डीसी निशांत कुमार यादव व एसपी गंगाराम पूनिया। -हप्र

प्रेसवार्ता में पुलिस अधीक्षक गंगाराम पूनिया ने बताया कि महापंचायत को देखते हुये जिले में कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए पुख्ता प्रबंध किए गये हैं। वाटर कैनन, पर्याप्त मात्रा में बजरी का प्रबंध किया है और ड्रोन से क्षेत्र की निगरानी की जायेगी।

लघु सचिवालय में सामान्य रहेगा कामकाज

उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने शहरवासियों से कहा कि किसी को भी डरने की आवश्यकता नहीं है। प्रशासन और पुलिस जनता की सुरक्षा के लिए पूरी तरह से मुस्तैद है। लघु सचिवालय में सामान्य दिनों की तरह काम-काज रहेगा। हाई-वे पर भी व्यवस्था रहेगी ताकि वाहनों की आवाजाही बनी रहे। 7 सितम्बर को बहुत ही जरूरी हो तो यात्रा करनी चाहिए। इसके लिए एक विस्तृत एडवाइजरी जारी कर दी गई थी, जिसमें दिल्ली व चंडीगढ़ से आने-जाने वालों के लिए वैकल्पिक रूट तय किये गए हैं।

चढ़ूनी ने दिये पुलिस नाके तोड़ने के निर्देश

करनाल में सोमवार को बैठक के बाद बाहर आते गुरनाम सिंह चढ़ूनी और अन्य किसान नेता। -सईद अहमद

करनाल (हप्र) : किसान संगठनों और सरकार के बीच तकरार बढ़ती नजर आ रही है। भाकियू चढूनी गुट के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने करनाल आ रहे किसानों को पुलिस द्वारा लगाये गये नाके तोड़ने के निर्देश दे दिये हैं। प्रशासन ने कहा था कि किसी भी कीमत पर घेराव या जीटी रोड जाम नहीं होने दिया जायेगा। इसके बाद चढूनी ने वीडियो मैसेज में किसानों से कहा कि करनाल के आसपास के लोग ट्रैक्टर-ट्रॉली में सवार होकर करनाल मंडी में आयें और बाकी लोग जत्थे बनाकर आयें। इस दौरान जहां संभव हो नाके तोड़ दो। जहां नाके न तोड़ सको, वहां खेतों से या अन्य मार्गों से आयें। जिन्हें कोई विकल्प न मिले वह नाके के पास ही सड़क पर धरने पर बैठ जायें। उन्होंने किसानों से कहा कि वे पुलिस बल से न टकरायें और कोई उपद्रव न करें। चढूनी ने कहा कि लघु सचिवालय का घेराव अवश्य किया जायेगा।

न्याय दिलवाकर ही वापस लौटेंगे : भाकियू

लघु सचिवलय में पत्रकारों से वार्ता करते हुए भाकियू चढ़ूनी गुट के नेता जगदीप सिंह औलख ने कहा कि महापंचायत में हरियाणा के अलावा पंजाब के किसान भी शामिल होंगे। बरनाला से किसानों की 35 बसें रवाना हो चुकी हैं। पंजाब के अन्य इलाकों से भी जत्थेबंदियां आ रही हैं।

जिला कोर्ट ने जारी किये आदेश

मंगलवार को किसानों के लघु सचिवालय घेराव की घोषणा को देखते हुए शहरवासी रणदीप ने करनाल सिविल कोर्ट में न्यायाधीश हरीश गोयल सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। कोर्ट ने आदेश दिए कि भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी व चढ़ूनी ग्रुप के जिलाध्यक्ष अजय राणा, भारतीय किसान यूनियन मान ग्रुप के प्रदेशाध्यक्ष रतन सिंह मान, भारतीय किसान यूनियन मा० केहर सिंह ग्रुप के प्रदेशाध्यक्ष केहर सिंह आर्य, अन्नदाता किसान संगठन के गुरमुख सिंह तथा गन्ना संघर्ष समिति के प्रधान रामपाल चहल की ओर से 7 सितंबर को शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन करते हैं तो जिला प्रशासन द्वारा इनको प्रदर्शन करने का स्थान दिया जा सकता है। यदि हाई-वे, स्टेट हाई-वे, लघु सचिवालय और न्यायालय परिसर, सार्वजनिक सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं, तो पुलिस अधीक्षक शांति बनाए रखने के लिए इन्हें ऐसा करने से रोक सकते हैं।

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