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सौंफ की खेती से गांव जोड़कियां का किसान सतबीर हुआ मालामाल

07:29 AM Jul 03, 2024 IST
गांव जोड़कियां का किसान सतबीर अपने खेतों में सौंफ की खेती के साथ। -निस
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नरेश कुमार/निस
ऐलनाबाद, 2 जुलाई
राजस्थान की सीमा से सटे हरियाणा के ऐलनाबाद क्षेत्र अंतिम छोर पर पड़ने के कारण नहरी पानी की कमी से जूझता रहता है। एेसे में किसान परंपरागत खेती के साथ आधुनिक तरीके से खेती करना चाहते हैं। समय के साथ-साथ खेतीबाड़ी के तरीके भी बदलते जा रहे हैं। एक ऐसा किसान भी है, जो आर्गेनिक सौंफ की खेती करके लाखों रुपए कमा रहा है। गांव जोड़कियां में किसान सतबीर देहड़ू ने पहली बार सौंफ की खेती करने का मन बनाया। सतबीर को सौंफ की खेती करने का यह आइडिया यूट्यूब पर वीडियो देखकर आया। इस खेती के बारे में उन्होंने सर्च किया और इसके बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी ली और सौंफ की खेती का मन बना लिया। किसान सौंफ का बीज जोधपुर से लेकर आया। किसान ने बताया कि एक एकड़ में लगभग 800 ग्राम बीज की आवश्यता होती है। इस फसल को पककर तैयार होने में लगभग 150-180 दिन का समय लगते हैं। सतबीर देहडू ऐलनाबाद क्षेत्र में ही नहीं सिरसा जिले में एकमात्र किसान है जो यह खेती कर
रहा है।
बीए पास कर चुके किसान सतबीर ने बताया कि बाजार में सौंफ की अच्छी खासी डिमांड है। एक एकड़ से 2 लाख रुपए कमाया जा सकता है। सौंफ की खेती बहुत ही ज्यादा मुनाफा देने वाली है, लेकिन इसके बारे में ज्यादातर किसानों को जानकारी नहीं होती इसलिए किसान पारम्परिक खेती पर निर्भर रहता है। सौंफ के लिए मीठे पानी की आवश्यकता होती है जिसके लिए सतबीर ने खेत में पानी की डिग्गी का निर्माण करवाया। सौंफ की फसल तीन सिंचाई में पककर तैयार हो जाती है। इसकी कटाई लगभग अप्रैल माह में हो जाती है।

आर्गेनिक तरीके से होती है तैयार

किसान सतबीर ने बताया कि सौंफ की खेती आर्गेनिक तरीके से होती है। इसमें किसी प्रकार की खाद व स्प्रे की जरूरत नहीं होती और पैदावार भी अच्छी होती है। आर्गेनिक तरीके से तैयार सौंफ लोगों के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती है। इसी कारण ज्यादा लोग आर्गेनिक खाद्य पदार्थों की तरफ आकर्षित होते हैैं।

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नजदीक मंडी न होना बड़ी समस्या

किसान सतबीर ने बताया कि सौंफ की पैदावार तो अच्छी हो जाती है लेकिन नजदीक मंडी नहीं होने के कारण हमें फसल को जोधपुर लेकर जानी पड़ती है। जिससे मंडी तक लेकर जाने में अधिक व्यय करना पड़ता है। किसान ने सरकार से मांग की कि किसानों परम्परागत खेती छोड़ आधुनिक खेती की ओर अग्रसर करने के लिए अनुुदान देना चाहिए। ताकि जो खेती घाटे का सौदा बन रही है वह किसानों के लिए लाभ का सौदा बन जाए।

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