फर्जी आईजी मामला : हिमाचल हाईकोर्ट ने आरोपी के खिलाफ दर्ज एफआईआर की रद्द
शिमला, 12 जनवरी (हप्र) : हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने फर्जी आईजी बनकर उद्योगपतियों से अवैध वसूली के आरोपों को निराधार ठहराते हुए आरोपी विनय अग्रवाल के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया है। आरोपों के अनुसार प्रार्थी ने फर्जी आईजी बनकर कालाअंब, बद्दी व नालागढ़ में उद्योगपतियों को कार्रवाई की धमकी दी और अवैध वसूली की। न्यायाधीश विरेंदर सिंह ने विनय अग्रवाल की याचिका को स्वीकारते हुए कहा कि इस मामले में गवाहों ने अपने सिविल विवाद को निपटाने के लिए पुलिस के समक्ष याचिकाकर्ता के खिलाफ गवाही दी थी।
मामले के अनुसार प्रार्थी पर आरोप था कि फर्जी आईजी बनकर उसने औद्योगिक क्षेत्रों में उद्योगपतियों से 1.41 करोड़ की अवैध वसूली की। आरोप था कि वह औद्योगिक क्षेत्रों का दौरा करता था तो हरियाणा पुलिस के सशस्त्र पुलिस कर्मचारी भी अवैध रूप से इसके साथ रहते थे। ऐसा इसलिए किया जाता था ताकि किसी को शक न हो।
जनहित याचिका पर सरकार से जवाब तलब : हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने ऊना जिले के हुम्म-खड्ड के बाथू-बथेरी क्षेत्र में की जा रही खनन गतिविधियों से जुड़ी जनहित याचिका में प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया है। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधवालिया और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने याचिका के साथ संलग्न तस्वीरों का हवाला देते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया उक्त खनन क्षेत्र की गहराई अधिकृत सीमा से परे है,भले ही इसके लिए खनन के उचित लाइसेंस दिए गए हों। कोर्ट ने प्रार्थी राज शर्मा द्वारा दायर जनहित याचिका पर संज्ञान लेते हुए सरकार को उक्त क्षेत्र में खनन के सभी लाइसेंस धारकों की सूची पेश करने के आदेश जारी किए। कोर्ट ने इस मामले में हिमाचल प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव सहित प्रमुख सचिव (उद्योग), प्रमुख सचिव (वन), प्रमुख सचिव (पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी), प्रमुख सचिव (परिवहन), प्रमुख सचिव (आबकारी और कराधान), उपायुक्त ऊना, राज्य भूविज्ञानी, खनन अधिकारी जिला ऊना, हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।