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करनाल की 4 सीटों पर आमने-सामने तो असंध में त्रिकोणीय मुकाबला

07:45 AM Oct 02, 2024 IST

दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
करनाल, 1 अक्तूबर
सेंटर ऑफ जीटी रोड यानी करनाल जिले की पांचों विधानसभा सीटों पर इस बार चुनाव फंसा हुआ लग रहा है। चार सीटों पर आमने-सामने की टक्कर है। वहीं असंध विधानसभा क्षेत्र में मल्टी कॉर्नर मुकाबला होता दिख रहा है। दस वर्षों तक मुख्यमंत्री का शहर यानी ‘सीएम सिटी’ रहे करनाल शहर की सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी भिड़ंत है। 2014 से 13 मार्च, 2024 तक पूर्व मुख्यमंत्री व केंद्रीय बिजली मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने करनाल का प्रतिनिधित्व किया था। वर्तमान में कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सैनी यहां से विधायक हैं।
दानवीर कर्ण की नगरी कहे जाने वाला करनाल जीटी रोड बेल्ट का सबसे संभावनाशील जिला है। धान उत्पादन मामले में अव्वल रहने वाले इस इलाके की बासमती धान की विदेश तक में धूम रहती है। यहां के धान की खुशबू के बीच इस बार बड़ी राजनीतिक लड़ाई इस बेल्ट में लड़ी जा रही है। राज्य की सत्तारूढ़ भाजपा को लगातार दो बार सत्ता तक पहुंचाने में जीटी रोड बेल्ट का सबसे बड़ा रोल रहा है। 2014 में संघ पृष्ठभूमि के मनोहर लाल ने अपना पहला विधानसभा चुनाव करनाल से ही लड़ा था।
2014 के चुनावों में करनाल के लोगों ने 63 हजार से अधिक मतों के अंतर से मनोहर लाल को एकतरफा जीत दिलाई। यह पहला ही मौका था, जब 47 विधायकों के साथ भाजपा पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नजदीकियों के चलते उन्हें प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया। मनोहर लाल के नेतृत्व में ही 2019 के चुनाव भी लड़े गए और भाजपा दूसरी बार सत्ता में आई। 12 मार्च को मनोहर लाल की जगह नायब सिंह सैनी को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया। इस बार नायब सैनी के नेतृत्व में भाजपा चुनाव लड़ रही है।
करनाल से भाजपा ने मनोहर लाल के सबसे नजदीकियों में शामिल जगमोहन आनंद को टिकट दिया है। वहीं कांग्रेस ने पूर्व विधायक सुमिता सिंह विर्क को टिकट दिया है। करनाल नगर निगम की मेयर रेणु बाला भी भाजपा टिकट की दावेदार थीं। उन्हें टिकट नहीं मिला तो उन्होंने बगावत भी कर दी। हालांकि बाद में भाजपा उन्हें मनाने में कामयाब रही। अब इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर बनी हुई है। मनोहर लाल के अलावा नायब सिंह सैनी भी इस सीट पर प्रचार कर चुके हैं।
इंद्री सीट पर हो रहा बड़ा खेल : करनाल जिले की ही इंद्री सीट पर भाजपा ने अपने निवर्तमान विधायक रामकुमार कश्यप को टिकट दिया है। उनका मुकाबला कांग्रेस के राकेश काम्बोज के साथ हो रहा है। काम्बोज पूर्व में भी इंद्री से विधायक रह चुके हैं। पूर्व मंत्री व इंद्री से विधायक रहे कर्णदेव काम्बोज भाजपा द्वारा टिकट काटने के बाद पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। कर्णदेव ने भी इंद्री में राकेश काम्बोज के चुनाव का मोर्चा संभाला हुआ है। वहीं इनेलो-बसपा गठबंधन की टिकट पर सुरेंद्र चुनाव लड़ रहे हैं। प्रतापति समाज के सुरेंद्र की वजह से भाजपा को अंदरखाने पिछड़ा वर्ग के वोट कटने का डर है, हालांकि यहां भाजपा माइक्रो मैनेजमेंट के साथ चुनाव लड़ रही है।

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कल्याण और राठौर फिर आमने-सामने

घरौंडा हलके में एक बार फिर भाजपा के हरविंद्र सिंह कल्याण और कांग्रेस के वीरेंद्र सिंह राठौर आमने-सामने चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पहले भी दोनों नेताओं का दो बार आपस में मुकाबला हो चुका है। लगातार दो बार घरौंडा से चुनाव जीत चुके हरविंद्र कल्याण हैट्रिक के लिए मैदान में जुटे हैं। केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल के करीबियों में उनकी गिनती होती है। हरविंद्र कल्याण की मिलनसार छवि भी उनके लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। वहीं मनोहर लाल से नजदीकियों में चलते वे विकास कार्य भी करवाने में कामयाब रहे। वहीं वीरेंद्र सिंह राठौर को कांग्रेस हाईकमान का नजदीकी बताया जाता है। रोहतक सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा भी वीरेंद्र सिंह राठौर के लिए प्रचार कर रहे हैं। घरौंडा हलके में भाजपा और कांग्रेस के बीच ही आमने-सामने की टक्कर है।

नीलोखेड़ी सीट पर पूर्व सीएम हुड्डा की प्रतिष्ठा दांव पर

अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित नीलोखेड़ी सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। लोकसभा चुनावों के दौरान नायब सरकार से समर्थन वापस लेकर कांग्रेस को देने वाले निर्दलीय विधायक धर्मपाल सिंह गोंदर को हुड्डा की सिफारिश पर कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया है। वहीं भाजपा ने अपने पूर्व विधायक भगवान दास कबीरपंथी को टिकट दिया है। अभी तक इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच ही सीधी टक्कर देखने को मिल रही है। कांग्रेस से बागी होकर पूर्व विधायक राजकुमार वाल्मीकि निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं।

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असंध में मल्टी कॉर्नर फाइट

जींद, पानीपत व करनाल के सेंटर में स्थित करनाल जिले के घरौंडा हलके में मल्टी कॉर्नर फाइट बनी हुई है। यहां से शमशेर सिंह गोगी कांग्रेस के मौजूदा विधायक हैं और वे एक बार फिर चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा ने करनाल जिलाध्यक्ष योगेंद्र सिंह राणा को टिकट दिया है। पूर्व मुख्य संसदीय सचिव जिलेराम शर्मा को भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो वे निर्दलीय चुनाव मैदान में आ गए। वहीं बसपा-इनेलो गठबंधन पर गोपाल राणा चुनाव लड़ रहे हैं। 2019 के चुनावों में गोपाल राणा के पिता नरेंद्र सिंह राणा ने चुनाव लड़ा था और वे कांग्रेस के शमशेर सिंह गोगी के मुकाबले महज 1703 मतों से चुनाव हार गए थे। इस बार असंध की सीट पर जबरदस्त मुकाबला हो रहा है।

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