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हरियाणा सरकार अतिरिक्त अंक देने की नीति रद्द करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी

03:40 PM Jun 01, 2024 IST
हरियाणा सरकार अतिरिक्त अंक देने की नीति रद्द करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी
नायब सिंह सैनी की फाइल फोटो।
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चंडीगढ़, एक जून (भाषा)

Extra marks in government job: हरियाणा सरकार राज्य में सरकारी नौकरी के आकांक्षियों को सामाजिक-आर्थिक आधार पर अतिरिक्त अंक देने की उसकी नीति हाई कोर्ट द्वारा रद्द किये जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी।

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पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की नौकरियों में कुछ खास वर्ग के उम्मीदवारों को अतिरिक्त अंक प्रदान करने के लिए हरियाणा सरकार द्वारा निर्धारित मानदंड को शुक्रवार को असंवैधानिक करार दिया था।

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने शनिवार को कहा था कि राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील दायर करेगी।

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सैनी ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘हरियाणा सरकार ने समाज के गरीब, कमजोर और वंचित वर्ग को आगे लाने के लिए अतिरिक्त पांच अंक देने की एक महत्वाकांक्षी योजना बनाई थी। हाई कोर्ट ने इसके विरुद्ध निर्णय दिया और इसे निरस्त कर दिया।''

सैनी ने कहा कि राज्य सरकार संवैधानिक और कानूनी प्रक्रियाओं के तहत इस लड़ाई को जारी रखेगी और सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी। याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील सार्थक गुप्ता ने शुक्रवार को कहा था, ‘‘सामाजिक-आर्थिक मानदंड को असंवैधानिक और संविधान के अनुच्छेद 14,15,16 का हनन करने वाला करार दिया गया है। यह घोषणा एक खंड पीठ ने की।''

सामाजिक-आर्थिक मानदंड को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर हाई कोर्ट का यह आदेश आया है। हाई कोर्ट के फैसले के बाद, कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने हरियाणा की भाजपा सरकार पर प्रहार करते हुए आरोप लगाया कि उसने ‘‘युवाओं के भविष्य को खत्म कर दिया।''

कांग्रेस नेता ने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘ग्रुप ‘सी' और ‘डी' तथा अन्य नौकरियों में सामाजिक-आर्थिक मानदंड के तहत अतिरिक्त अंक देने की नीति खारिज होने के साथ हरियाणा में 20 लाख से अधिक युवाओं का भविष्य अधर में लटक गया है।''

राज्य सरकार ने कुछ साल पहले सामाजिक-आर्थिक मानदंड पेश किया था जिसका लक्ष्य विशेष वर्गों के उम्मीदवारों को अतिरिक्त अंक प्रदान करना था। इनमें वे लोग भी शामिल हैं जिनके परिवार में कोई सरकारी कर्मचारी नहीं है, राज्य में उनका मूल निवास है और उनके परिवार की वार्षिक आय 1.8 लाख रुपये से अधिक नहीं है।

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