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External Development Charges : हरियाणा में बिल्डरों को बड़ी राहत, अब 30 सितंबर तक जमा करवा सकेंगे ओटीएस में ईडीसी

08:07 PM Apr 22, 2025 IST
external development charges   हरियाणा में बिल्डरों को बड़ी राहत  अब 30 सितंबर तक जमा करवा सकेंगे ओटीएस में ईडीसी
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ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 22 अप्रैल।
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने राज्य के डिफाल्टर बिल्डरों को राहत दी है। सीएम सैनी ने बकाया भुगतान न करने वाले बिल्डरों को राहत देते हुए, लंबित बाह्य विकास शुल्क (ईडीसी) के लिए वन टाइम सेटलमेंट स्कीम की समय सीमा 30 सितंबर तक बढ़ा दी है। यह विस्तार समाधान से विकास योजना के अंतर्गत दिया है। इसके तहत डिफॉल्टर बिल्डरों को उनके लंबे समय से लंबित ईडीसी बकाया का भुगतान करने के लिए चार महीने का अतिरिक्त समय दिया गया है,जो कई वर्षों से जमा हो रहा है।

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नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एके सिंह ने मंगलवार को एक सरकारी आदेश में कहा कि लाइसेंस मामलों और भूमि उपयोग परिवर्तन मामलों के संबंध में लंबे समय से लंबित ईडीसी बकाया की वसूली के लिए सरकार ने यह फैसला किया है। योजना की संशोधित शर्तों के तहत, बिल्डर अब दो निपटान विकल्पों में से चुन सकते हैं।

पहले विकल्प के तहत वह 100 प्रतिशत मूल राशि के साथ 56 प्रतिशत बकाया ब्याज और 15 मार्च 2025 तक की गणना के अनुसार दंडात्मक ब्याज का भुगतान कर सकते हैं। 15 अप्रैल के बाद किए गए भुगतान पर यह ब्याज हर महीने एक प्रतिशत बढ़ेगा, जिससे यह 57 प्रतिशत हो जाएगा और उसके बाद मासिक आधार पर बढ़ता रहेगा।

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दूसरे विकल्प के तहत वे 15 मार्च 2025 तक मूल राशि का 50 प्रतिशत, 81 प्रतिशत बकाया ब्याज और दंडात्मक ब्याज का भुगतान कर सकते थे। यहां 15 अप्रैल के बाद ब्याज हर महीने एक प्रतिशत बढ़ता है, जिससे यह 82 प्रतिशत हो जाता है और उसके बाद मासिक रूप से बढ़ता रहता है। इन लचीले विकल्पों का उद्देश्य बिल्डरों को अपना बकाया चुकाने के लिए प्रोत्साहित करना तथा शहरी बुनियादी ढांचे के विकास को सुगम बनाना है।

क्या है बाह्य विकास शुल्क
बाह्य विकास शुल्क (ईडीसी) एक स्थानीय सरकार या विकास प्राधिकरण द्वारा रियल एस्टेट डेवलपर पर उनकी परियोजना के आसपास बाहरी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए लगाए जाने वाला शुल्क होता है। यह शुल्क उन बुनियादी ढांचे की लागत को कवर करता है, जो परियोजना को व्यापक शहरी सेवाओं से जोड़ता है, जैसे सड़कें, जल आपूर्ति, सीवरेज सिस्टम और बिजली हैं।

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