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‘एक्सपेरिमेंटल लर्निंग प्राचीन भारतीय शिक्षण पद्धति का हिस्सा’

07:21 AM Feb 04, 2025 IST
‘एक्सपेरिमेंटल लर्निंग प्राचीन भारतीय शिक्षण पद्धति का हिस्सा’
भिवानी में सोमवार को सीबीएलयू में अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान कार्यशाला में कुलपति प्रो. बलदेव राज कंबोज का स्वागत करतीं कुलपति दीप्ति धर्माणी।-हप्र
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भिवानी, 3 फरवरी (हप्र)
चौधरी बंसी लाल विश्विद्यालय के फिजिक्स डिपार्टमेंट द्वारा आयोजित दो दिवसीय अंतराष्ट्रीय विज्ञान कार्यशाला के पहले दिन मुख्य अतिथि के रूप में आए हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बलदेव राज कंबोज ने अपने संबोधन में कहा कि लर्निंग साइंस विद फन आज की अवधारणा नहीं है बल्कि हमारी भारतीय संस्कृति के शिक्षण का हिस्सा थी। जिसके अनुसार देख कर और प्रायोगिक रूप से ज्ञान विज्ञान को सरल बनाकर रोज के जीवन में उतरा जाता था।
ज्ञान जीवन में काम न आ सके वह ज्ञान नहीं : धर्माणी
कुपलित प्रो. धर्माणी ने कहा कि हमारी शिक्षा अगर हमारे समस्या का निदान न करे और वह जीवन में काम न आए तो वह शिक्षा पूर्ण नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि हमारा विश्विद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षण नीति 2020 के एक्सपेरिमेंटल लर्निंग को पूरी तरह से व्यावहारिक रूप से भी लागू करने का काम किया है।
अमेरिका से आए प्रो. एनएल शर्मा ने मुख्य वक्ता के रूप में विद्यार्थियों को संबोधित किया और क्वॉन्टम फिजिक्स के सिद्धान्त को कई दैनिक जीवन के उदाहरणों से समझाया। इस कार्यकम की रूपरेखा कार्यशाला के संयोजक प्रो. विपिन कुमार जैन ने प्रस्तुत की, वहीं डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रो. दिनेश कुमार मदान ने अतिथियों का स्वागत किया। राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. वायके विजय ने विज्ञान के प्रयोगों को समझाया जिसमें विद्यार्थियों ने फिजिक्स के सिद्धांतों को उनके साथ करके सीखा। यूनिवर्सिटी ऑफ जिनेवा, इटली से आए प्रो.गुस्तावो सांचेज ने लर्निंग इंडस्ट्रियल डिजिटल ट्विंस इन एजुकेशन विषय पर विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया।

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