संस्कृत विश्वविद्यालय के निष्कासित शिक्षकों ने शुरू की भूख हड़ताल
कैथल, 1 जनवरी (हप्र)
संस्कृत विश्वविद्यालय में शास्त्री पाठ्यक्रम में हिंदी, अंग्रेजी, इतिहास और राजनीति विज्ञान जैसे विषयों को पुन: शामिल करने की मांग को लेकर छात्रों और शिक्षकों का संयुक्त धरना 71वें दिन भी जारी रहा।
धरने पर बैठे पांच शिक्षकों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया और विश्वविद्यालय परिसर में उनके प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। जब इतने दिन तक कोई समाधान नहीं निकला तो आज धरने पर बैठे शिक्षकों ने भूख हड़ताल शुरू करने का निर्णय लिया। शिक्षकों ने पहले ही कुलपति और जिला प्रशासन को सूचित कर दिया था कि वे एक जनवरी से भूख हड़ताल शुरू करेंगे। आज क्रमिक भूख हड़ताल की शुरुआत हिंदी विषय के निष्कासित प्रोफेसर डॉ. ओमवीर सिंह ने की।
धरना स्थल पर शिक्षकों ने कहा कि वे तब तक भूख हड़ताल पर बैठे रहेंगे जब तक छात्रों और शिक्षकों की मांगें पूरी नहीं होतीं, अवैध निष्कासन रद्द नहीं किए जाते और राष्ट्रीय शिक्षा नीति सही प्रकार से लागू नहीं की जाती। उन्होंने कहा कि वे मुख्यमंत्री से अपील करते हैं कि विश्वविद्यालय में हो रही अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की जांच कराई जाए। आज सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा की कैथल इकाई की टीम रामपाल शर्मा और शिवचरण के नेतृत्व में धरनास्थल पर पहुंची और धरने को समर्थन दिया। उन्होंने सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि मांगें पूरी नहीं हुईं तो वे व्यापक आंदोलन करेंगे। धरना व भूख हड़ताल पर जसबीर सिंह, मनोज कुमार, पूनम और सुमन भी उपस्थित थे।
कुलपति के आरोपों का किया खंडन
कुलपति ने आरोप लगाया कि निष्कासित शिक्षकों ने छात्रों के आंतरिक मूल्यांकन जमा नहीं किए। इस पर शिक्षकों ने स्पष्ट किया कि आंतरिक मूल्यांकन सेमेस्टर की कक्षाएं पूरी होने के बाद किया जाता है, क्योंकि इसमें छात्रों की उपस्थिति के अंक भी शामिल होते हैं। कुलपति ने शिक्षकों को सेमेस्टर की कक्षाएं पूरी होने से पहले ही निष्कासित कर दिया और विश्वविद्यालय में उनका प्रवेश वर्जित कर दिया, जिससे वे अपनी शैक्षणिक जिम्मेदारियों को पूरा नहीं कर सके। आंतरिक मूल्यांकन के लिए आवश्यक सामग्री विश्वविद्यालय में रखी है, जहां शिक्षकों का प्रवेश निषेध है।