एग्जिट पोल के आंकड़ों ने बढ़ाई भाजपा की टेंशन, कांग्रेस पूरी तरह से आश्वस्त
ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 5 अक्तूबर
हरियाणा में लगातार तीसरी बार सत्ता में आना भाजपा के लिए आसान नहीं लग रहा। शनिवार को नब्बे सीटों के लिए मतदान सम्पन्न हो गया। मतदान प्रक्रिया पूरी होने के बाद आए एग्जिट पोल भाजपा की टेंशन बढ़ाने वाले हैं। हालांकि भाजपा तीसरी बार सरकार बनाने को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। इसके पीछे कारण दिया जा रहा है कि छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी एग्जिट पोल के आंकड़े फेल हो चुके हैं। वहीं कांग्रेस पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता वापसी का दावा कर रही है।
हरियाणा के राजनीतिक समीकरण मई में हुए लोकसभा चुनावों के दौरान ही बिगड़ गए थे। लोकसभा की दस में से पांच ही सीटों पर भाजपा जीत हासिल कर पाई। वहीं 2019 में सभी दस सीटों पर हार का सामना करने वाली कांग्रेस ने इस बार लोकसभा में जबरदस्त तरीके से कम-बैक किया। रोहतक से दीपेंद्र सिंह हुड्डा, सिरसा से कुमारी सैलजा, हिसार से जयप्रकाश ‘जेपी’, अंबाला से वरुण चौधरी और सोनीपत से सतपाल ब्रह्मचारी से लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की।
इनमें से सतपाल ब्रह्मचारी और वरुण चौधरी पहल बार संसद पहुंचे हैं। हालांकि 2019 में वरुण ने मुलाना हलके से विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। 2014 से पहले तक भाजपा हरियाणा में आमतौर पर ‘बैसाखियों’ के सहारे चलती रही। 2014 के लोकसभा चुनावों में जब गुजरात के मुख्यमंत्री होते हुए भाजपा ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का चेहरा घोषित किया तो हरियाणा में भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया।
हालांकि लोकसभा का चुनाव भाजपा ने हजकां (बीएल) के साथ गठबंधन में लड़ा। हिसार और सिरसा में कुलदीप बिश्नोई के नेतृत्व वाली हजकां ने गठबंधन में उम्मीदवार खड़े किए थे। दोनों सीटों पर हजकां की हार हुईं। भाजपा ने आठ सीटों पर चुनाव लड़ा था और इनमें से सात पर जीत हासिल की। रोहतक में उस समय मौजूदा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा, मोदी की आंधी को रोकने में कामयाब रहे और वे संसद पहुंचे। इसके बाद अक्तूबर-2014 में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने अपने बूते सभी नब्बे सीटों पर चुनाव लड़ा।