महम में तालाबों का अस्तित्व खतरे में, बस्ती में पहुंच रहा पानी
रोहतक, 10 जुलाई (हप्र)
प्रशासन की लापरवाही के चलते महम में तालाबों का अस्तित्व समाप्ति पर है। कस्बे में एकाध तालाब बचा है उसमें गंदगी की भरमार है। मजबूरन पशुपालक पशुओं को पानी पिलाने के लिए दूर दराज खेतों में जा रहे हैं या इनकी प्यास बुझाने के लिए सप्लाई में आने वाले पानी का सहारा लिया जाता है। चौबीसी चबूतरे के पास स्थित मुरंड तालाब को झील का रुप दे दिया गया लेकिन उसमें पानी नहीं है, वह सूखी पड़ी है। एक समय महम को तालाबों का शहर भी कहा जाता था। कस्बे में ब्राह्मणों वाला, कसाइयों वाला, जलभरत, घेऊवाला, मुरंड, खोजेवाला, दरबारी मल, सैनियों वाला आदि को मिलाकर चंद वर्षों पहले शहर के चारों ओर दर्जन भर तालाब थे। प्रशासनिक अनदेखी, अवैध कब्जे व अतिक्रमण की वजह से कई तालाबों का अस्तित्व फिलहाल खत्म हो चुका है। घेऊ वाले तालाब का वजूद मिटाकर वहां पर माडल स्कूल व पालिटेक्नीक कॉलेज बना दिया गया। इसी तरह ब्राह्मणों वाले तालाब पर गौशाला बनाकर उसे भी समाप्त कर दिया गया। कसाइयों वाले तथा खोजेवाला तालाब को भी खत्म कर दिया गया। लोगों का आरोप है कि सौंदर्यीकरण के नाम पर एक करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए गए थे लेकिन अब भी उसका काम आधा अधूरा पड़ा हुआ है। इसी तरह नगरपालिका के साथ जलभरत तालाब की हालत भी खराब है। इनमें शहर का गंदा पानी आता है। इन तालाबों की खुदाई भी नहीं करवाई गई। यहां जलकुंभी व गंदगी की भरमार है। उन्होंने बताया कि महम शहर थोड़ा टिलेनुमा ऊंचाई पर है। पहले बारिश के दौरान शहर का अधिकतम पानी इन तालाबों में चला जाता था। इससे शहर के अंदर व बाहरी बस्तियों में रहने वाले लोग सुरक्षित थे। उन्होंने बताया कि पहले बारिश का पानी तालाबों में एकत्रित हो जाता था। लेकिन तालाबों के खत्म होने से अब यही पानी चौक चौराहों पर खड़ा रहने के साथ, बस्तियों व घरों में घुसने लगा है।