जरूरत का उपदेश
महात्मा बुद्ध का एक शिष्य उनके पास पहुंचा और बोला, ‘मैंने आज एक भिखारी को बुलाकर बहुत देर तक धम्म दीक्षा दी, उसे जीवन-मुक्त होने के प्रेरक उपदेश दिए, लेकिन उस मूर्ख ने मेरी ज्ञानपूर्ण बातों पर कोई ध्यान ही नहीं दिया?’ शिष्य की बात सुनकर बुद्ध कुछ बोले नहीं, सिर्फ मुस्कुराए और शिष्य से कहा कि उस भिखारी को मेरे पास बुलाकर ले आओ। दीन-हीन अवस्था में जब भिखारी महात्मा बुद्ध के पास आया तो बुद्ध भगवान ने उसे भरपेट भोजन कराया और प्रेमपूर्वक विदा कर दिया। अचंभे में डूबे शिष्य ने महात्मा बुद्ध से पूछा कि आपने भिखारी को बिना कोई उपदेश दिए ही क्यों भेज दिया? तो बुद्ध भगवान ने कहा कि आज उस भिखारी के लिए भोजन ही सर्वोत्तम और अत्यावश्यक उपदेश था, क्योंकि प्रवचन से अधिक उसे अन्न की आवश्यकता थी। यही सच्चा उपदेश है। बुद्ध की बात सुनकर शिष्य निरुत्तर हो गया।
प्रस्तुति : योगेंद्र नाथ शर्मा ‘अरुण’