विमान अपग्रेड के जरिये ताकत बढ़ाने की कवायद
डॉ. लक्ष्मी शंकर यादव
आठ अक्तूबर, 1932 से धीरे-धीरे प्रगति करती हुई भारतीय वायुसेना अपने 93वें वर्ष में प्रवेश कर रही है। इस बीच ऐसे कई अवसर आए जब भारतीय वायुसेना के जांबाजों ने शत्रु के दांत खट्टे करके अपनी ताकत का अहसास करवाया। प्रत्येक युद्ध को जीतने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। चीन व पाक सीमा पर चुनौतियां जगजाहिर हैं। भारतीय वायुसेना के पास इस समय 30 स्क्वॉड्रन लड़ाकू विमान हैं। सामरिक चुनौतियों के मद्देनजर भारत के पास लगभग 45 स्क्वॉड्रन लड़ाकू विमान होने चाहिए।
सीमा पर किसी भी दुश्मन को अवसर न मिले इसके लिए भारत पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान बनाने की योजना पर काम कर रहा है जो फीचर्स में राफेल विमान से भी ज्यादा शक्तिशाली होंगे। इस पर भारी धनराशि खर्च होगी। इसके लिए सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों के 50 से ज्यादा सिस्टम अपग्रेड कर उन्हें अत्याधुनिक बनाया जाएगा। स्वदेशी तकनीक से अपग्रेड होने के बाद ये विमान काफी खतरनाक हो जाएंगे और अगले तीन दशक तक बेहतर सेवाएं दे सकेंगे।
योजना के तहत पहले 84 सुखोई विमानों को अत्याधुनिक बनाया जाएगा। मॉडर्न राडार सिस्टम को लगाया जाएगा जिससे सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों की डिटेक्शन रेंज बढ़ जाएगी। इनमें अस्त्र मिसाइलें तैनात की जायेंगी। जिससे 350 किमी दूरी तक लक्ष्य को नष्ट करना आसान हो जाएगा।
वायु सेना ने मुख्य लड़ाकू विमान सुखोई विमानों के इंजन के लिए बीते माह 26000 करोड़ रुपये का समझौता हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से किया है। जिसके तहत एचएएल सुखोई-30 एमकेआई विमानों के लिए स्वदेशी तकनीक के 240 एयरो इंजन (एएल-31एफपी) तैयार करेगा। इनके निर्माण की जिम्मेदारी उड़ीसा के कोरापुर डिविजन को दी गई है। इसका पहला इंजन एक अक्तूबर को वायु सेना को सौंपा जा चुका है। एचएएल हर साल ऐसे 30 इंजनों की आपूर्ति करेगा। इस तरह 240 इंजनों की आपूर्ति आठ साल में पूरी हो जाएगी। इससे वायु सेना को सुखोई-30 विमान बेड़े की परिचालन क्षमता बनाए रखने में मदद मिलेगी। यह समझौता वायु सेना के लड़ाकू विमानों के स्क्वाड्रन में कमी आने तथा एचएएल द्वारा स्वदेशी तेजस विमानों की आपूर्ति में देरी की चिन्ताएं दूर करेगा। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक ये इंजन 54 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री से निर्मित होंगे।
वायु सेना के विमान बेड़े को ताकतवर बनाने के मकसद से अब रूस के साथ सह उत्पादन में नई पीढ़ी के सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान बनाए जाएंगे। इस पर दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हाल में हुई रूस यात्रा के दौरान भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई। एचएएल अपने कारखाने को इनके निर्माण के लिए तैयार कर रहा है। वायु सेना के पास इस समय 259 सुखोई विमान हैं जो सभी संचालन अवस्था में नहीं। ज्यादातर सुखोई 2000-2010 के बीच वायु सेना में शामिल किए गए। इन्हें हर 15 साल बाद अपग्रेड किया जाता है, 10 वर्ष बाद इनकी संख्या काफी कम हो जाएगी। इसीलिए बेड़े में नये अपग्रेडेड सुखोई विमान जोड़ने की तैयारी कर ली गई है।
अब रूस ने अपने सुखोई-75 चेकमेट लड़ाकू विमान की खरीद का ऑफर भारत को दिया है, वह भी कम कीमत पर। रूस इस लड़ाकू विमान की तकनीक भी देने को तैयार है। रूसी रक्षा अधिकारियों का कहना है- ये अत्याधुनिक विमान राडार की पकड़ में नहीं आते। ये एआई से लैस विमान हैं। इनकी गति 1.8 मैक है और 3000 किमी तक लक्ष्य को नेस्तनाबूद करने की क्षमता है। यह विमान 7.4 पेलोड के साथ 54000 से अधिक ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है। हवा से हवा तथा हवा से जमीन पर मार करने वाले हथियार अपने अंदर छिपाए रखता है।
वायु सेना का विमान बेड़ा बढ़ाने के लिए देश में निर्मित तेजस लड़ाकू विमानों की खरीद की जाएगी। कुछ समय पहले 123 विमानों का आर्डर एचएएल को दिया गया। अब 97 तेजस और खरीदे जाएंगे। उसके बाद 200 और तेजस विमान लिए जाने की योजना है। भारत में अभी तेजस मार्क-1 बनाए जा रहे हैं। आने वाले दिनों में जीई इंजन एफ-414 वाले तेजस मार्क-2 लड़ाकू विमानों का निर्माण देश में शुरू हो जाएगा। उम्मीद है कि 2026 में इसकी पहली उड़ान पूरी होगी। यह बहुउद्देश्यीय सुपरसोनिक लड़ाकू विमान होगा। इनकी सबसे बड़ी ताकत इनकी स्पीड है जो अधिकतम 2385 किलोमीटर प्रति घंटे होगी। कुल रेंज 2500 तथा 1500 किमी लड़ाकू रेंज होगी। यह 6500 किलोग्राम वजन के हथियार लेकर उड़ सकेगा। भारत 5.5वीं पीढ़ी के स्टील्थ लड़ाकू विमान को विकसित करने की योजना पर भी काम कर रहा है। डीआरडीओ इसे विकसित कर रहा है। यह भारत का पहला स्टील्थ फाइटर होगा जो भारी और अधिक हथियार ले जा सकेगा। इन विमानों के मिलने पर भारतीय वायु सेना की ताकत काफी बढ़ जाएगी।