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पढ़ाई की उम्र में बदलाव की मिसालें

08:24 AM Oct 10, 2024 IST
पढ़ाई की उम्र में बदलाव की मिसालें
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वीना गौतम
भाविश अग्रवाल, बायजू रवींद्रन, दिव्या गोकुलनाथ, रीतेश अग्रवाल, लैरी पेज, सेर्गेई ब्रिन, ग्रेटा थनबर्ग- आखिर इन सबमें क्या विशेषता है? जवाब है कि इन सब ने अपने छात्र जीवन में ही या पढ़ाई करके निकलते ही अपनी सोच, अपने आविष्कार या अपने नजरिये से दुनिया का जबर्दस्त विकास किया है या कहें कि उसे बदल डाला है। भाविश अग्रवाल ने आईआईटी बॉम्बे से बीटेक की पढ़ाई की है। इसके बाद माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च में दो साल तक की गई अपनी नौकरी के दौरान ही एक ऑनलाइन वेबसाइट ‘ओलाट्रिप डॉट कॉम’ विकसित की और जल्द ही एक टैक्सी वाले से हुए झगड़े के बाद देश की सबसे बड़ी कैब एग्रीगेटर कंपनी ओला कैब खड़ी कर दी।

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छात्र जीवन में ही बड़े काम

कुछ ऐसा ही कारनामा रीतेश अग्रवाल ने ओयो होटल चेन खड़ी करके तब की, जब वह अभी अपनी पढ़ाई कर ही रहे थे। बायजू के संस्थापक बायजू रवींद्रन और दिव्या गोकुलनाथ की भी यही कहानी है, जबकि लैरी पेज और सेर्गेई बिन के बारे में तो हम सब जानते ही हैं कि कैसे पढ़ाई के दौरान ही इन्होंने गूगल जैसी दुनिया की सबसे बड़ी कंटेंट प्रोवाइडर वेबसाइट खड़ी कर दी थी। इसी क्रम में ग्रेटा थनबर्ग को भी रखा जा सकता है, जिन्होंने किशोरावस्था में ही दुनियाभर के राजनेताओं को बिगड़ते पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे के साथ अपने जबर्दस्त एक्टिविज्म के जरिये जोड़ा है।

राष्ट्रपति कलाम की स्मृति में

दुनिया को बेहतर बनाने में छात्रों के इसी योगदान को महत्व देने के लिए साल 2010 से भारत के 11वें राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की 15 अक्तूबर को पड़ने वाली जयंती को वर्ल्ड स्टूडेंट डे के रूप में मनाया जाना तय हुआ। इसका मुख्य उद्देश्य दुनिया के विकास में, दुनिया की बेहतरी में, छात्रों के योगदान को रेखांकित करना था। इस साल यानी 15 अक्तूबर 2024 को 15वां विश्व छात्र दिवस मनाया जायेगा। वास्तव में भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को याद करने का सबसे बेहतर तरीका यही है। मिसाइल मैन के नाम से जाने जाने वाले एपीजे अब्दुल कलाम महान वैज्ञानिक होने के साथ साथ महान शिक्षक भी थे। भारत की विभिन्न सरकारों के साथ वैज्ञानिक सलाहकार रहने के बाद जब वह राष्ट्रपति बने और राष्ट्रपति पद से रिटायर हुए थे, तो उन्होंने यही आकांक्षा जतायी थी कि वह अब सिर्फ छात्रों के बीच रहना चाहते हैं। वह छात्रों को पढ़ाना चाहते हैं। इससे समझा जा सकता है कि छात्रों के प्रति उनके मन में कितना प्यार था और पढ़ाने को वो कितना सम्मानजनक मानते थे। इसलिए जब विश्व छात्र दिवस मनाये जाने की योजना बनी तो इसके लिए एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती से बेहतर कोई दूसरा दिन हो ही नहीं सकता था।

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छात्रों के योगदान की चर्चा

वर्ल्ड स्टूडेंट डे को सबसे अच्छी तरह से अपने हिंदुस्तान में ही सेलिब्रेट किया जाता है। इस दिन का जश्न मनाने के दो तरीके हैं, एक तो यह कि हम इस बात पर विचार करें कि शिक्षा आखिर छात्रों को कितना महत्वपूर्ण नागरिक व प्रतिभाशाली बना पाती है जिससे वे दुनिया को बेहतर बनाने में अपनी प्रतिभा का इस्तेमाल करें। इस दिन को मनाये जाने का सबसे लोकप्रिय तरीका यह है कि इस दिन पूरी दुनिया के शिक्षण संस्थानों में छात्रों के दुनिया को बेहतर बनाने के योगदान पर सेमिनार हों और हाल के सालों में छात्रों के महत्वपूर्ण योगदान को याद किया जाए।

विकास का पैमाना आम जिंदगी की बेहतरी

हम सब जानते हैं कि छात्र दुनिया को बदलने वाली वह महत्वपूर्ण पीढ़ी होते हैं, जिन्होंने दुनिया की परेशानियों को सीधे-सीधे भुगता होता है। क्योंकि डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम कहते थे, ‘हम विकास को मौजूदा पीढ़ियों की जिंदगी को बेहतर बनाने के पैमाने पर नापते हैं, इसलिए मौजूदा पीढ़ी ही किसी नये विचार को कार्यरूप देकर उपयोगी बनाने के लिए बेहतर योगदान दे सकती है।’ डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन के विभिन्न पहलुओं को भी इस दिन अलग-अलग ढंग से याद किया जाता है। उनकी उपलब्धियों और छात्रों के प्रति उनके दृष्टिकोण को समझने के लिए विभिन्न तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इसलिए यह दिन महत्वपूर्ण है। हम भारतीयों के लिए यह गर्व का विषय है कि हमारे एक वैज्ञानिक और आधुनिक सोच वाले महान भारतीय के सम्मान में यह दिन मनाया जाता है। इसलिए भले दुनिया के दूसरे देश इस दिन की अनदेखी करें, पर हम इसे एक महत्वपूर्ण दिवस के रूप में हमेशा मनाते हैं और मनाते रहेंगे, यही इस दिन की खासियत है।
- इ.रि.सें.

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