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कटु अनुभवों से जीवन की पड़ताल

10:43 AM Sep 03, 2023 IST

पुस्तक समीक्षा

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मनोज कुमार ‘प्रीत’

पुस्तक : धुंध के पार लेखक : प्रताप सिंह सोढी प्रकाशक : अयन प्रकाशन, दिल्ली पृष्ठ : 110 मूल्य : रु. 240.

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लेखक प्रताप सिंह सोढी का तीसरा लघुकथा संग्रह ‘धुंध के पार’ पाठकों के समक्ष है, जिसमें कुल 66 लघुकथाएं संकलित हैं। लेखक की कलम ने साहित्य को कहानी, ग़ज़ल, संस्मरण व अनेक लेखों द्वारा अपनी सशक्त उपस्थिति दी है।
चूंकि लेखक ने जीवन को लम्बे व कड़ेे अनुभव से जांचा है अत: इनकी कथाएं सटीक प्रहार करती हैं। जिन्हें पढ़ कर पाठक मन बहुत कुछ सोचने पर विवश हो जाता है। लगभग प्रत्येक लघुकथा सामाजिक नैतिक, धार्मिक व छिजते संबंधों पर करारा प्रहार करती दिखाई देती है।
सामाजिक व मानवीय विघटन के सूक्ष्म बिंदुओं को लेखक ने पूरी कलाकारी से उभारा है। लघुरूपा ‘संरक्षण’ का नायक दादा या ‘विक्षेप’ में ढलती आयु का द्वंद्व, ‘खामोश चीखें’ में बच्ची की सरलता जहां नायक को खामोश करती हैं, वहीं पाठक वर्ग भी विचलित होता है।
मानवीय रिश्तों की आपाधापी ‘इस्तीफा’ में एक अलग से अहंकार को जन्म देकर परिस्थितियों को हाशिये पर धकेलती दिखाई देती है।
लेखक ने अपनी प्रत्येक रचना को एक सफल निष्कर्ष तक पहुंचा कर पाठक को राहत प्रदान की है। खींचा-तानी, असमंजस, ईर्ष्या, या करुणा का विस्तार एक खूबसूरत पड़ाव सहित नई दिशा प्रदान करता प्रतीत होता है जिसमें लेखक की प्रौढ़ता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।
‘मानसिक विकलांगता’ कथा हमारे समाज व प्रशासन की पोल खोलती दिखाई देती है। जिसमें मानवता के क्रूर चेहरे को देख कर पाठक पसीने से भीगता है। दुविधा स्वाभिमान, शक्ति बिखर गई और मुराद जैसी कथाएं हमारी विकलांग मानसिकता को प्रभावित करती हैं।
लेखक की मंझी हुई कलम अपनी पैनी धार को दर्शाती है। अतः प्रत्यक्ष रूप में यह कहा जा सकता है कि कटु अनुभवों का प्रमाण है ‘धुंध के पार’।

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