हर घर में नल से जल, फिर भी गांव है प्यासा
जसमेर मलिक/हप्र
जींद, 7 जुलाई
जल जीवन मिशन के तहत ‘हर घर नल से जल’ पहुचाने की केंद्र सरकार योजना कैसे काम कर रही है, इसका उदाहरण आपको जींद आकर देखने को मिलेगा। यहां के गांव बड़ोदी में हर घर में नल है और उसमें जल भी है, लेकिन नल से आये इस पानी को लोग पी नहीं सकते। रोजाना महिलाओं को सुबह-शाम दूर जलघर में लगे हैंडपंप से सिर पर मटका रखकर पीने के लिए पानी लाना पड़ता है। नल से आने वाला जल इतना खारा है कि लोग इसका इस्तेमाल सिर्फ कपड़े धोने, नहाने और पशुओं के लिए करते हैं।
रोचक बात यह है कि जिस बड़ोदी गांव में पूरे जींद शहर की 2 लाख से ज्यादा की आबादी की प्यास बुझाने के लिए जलघर बनाया जाना है, उसी गांव की महिलाएं सुबह-शाम सिर पर मटका रखे पानी लाती नजर आती हैं। जन स्वास्थ्य विभाग इन महिलाओं के सिर से मटका नहीं उतरवा पा रहा है।
जींद शहर के लोगों की प्यास नरवाना के पास से गुजर रही भाखड़ा ब्रांच नहर के मीठे पानी से बुझेगी। इसके लिए बड़ोदी गांव में नहरी पानी पर आधारित जलघर का निर्माण होगा। इसमें नरवाना से भाखड़ा नहर का पानी पाइप लाइन के जरिए लाया जाएगा। इस परियोजना पर लगभग 380 करोड़ की राशि खर्च होगी। बड़ोदी में जलघर के निर्माण का 90.44 करोड़ का टेंडर हाल ही में जारी किया जा चुका है।
नया जलघर बनने पर मिलेगा पानी : कृष्ण मिड्ढा
जींद से भाजपा विधायक डॉ. कृष्ण मिड्ढा ने कहा कि उन्होंने जनस्वास्थ्य विभाग से सिफारिश की है कि गांव में जींद शहर के लिए नहरी पानी पर आधारित जो जलघर बनेगा, उससे बड़ोदी गांव को भी पीने के पानी की सप्लाई की जाए, ताकि महिलाओं के सिर से पानी के मटके उतर सकें।
1200 फीट गहरा है बोर
बड़ोदी गांव में जनस्वास्थ्य विभाग के जलघर से सभी घरों में नल से जल पहुंचाया गया है। गांव के जोगेंद्र कहते हैं कि विभाग की पेयजल सप्लाई का पानी खारा है। बहुत गहरे बोर का पानी विभाग सप्लाई करता है, जो पीने लायक नहीं है। यह बोर लगभग 1200 फीट पर है। ऐसे में लगभग पूरा गांव जलघर में लगे हैंडपंप से पीने का पानी लाता है। महिलाएं सिर पर पानी ढोती हैं। यह उनकी मजबूरी है। गांव की महिलाओं के सिर से पानी के मटके तभी उतर पाएंगे, जब गांव में नहरी पानी पर आधारित पेयजल की सप्लाई होगी।