आज भी कायम है महिलाओं के चौपाल पर न चढ़ने की परंपरा
बलराम बंसल/निस
होडल, 7 अक्तूबर
होडल में चौपालों पर आज भी महिलाओं के न चढ़ने की परंपरा कायम है, इसके कारण उनके अधिकारों का हनन हो रहा है। अनेक गावों व होडल शहर में चौपालों का निर्माण किया गया है। इन चौपालों का निर्माण करने का मुख्य उद्देश्य आपसी विवादों के समाधान के लिए पंचायतों का आयोजन करना है, इसके अलावा इस स्थान पर किसी समारोह भी किया जा सकता है।
चौपालों पर महिलाओं का चढ़ना पूरी तरह से प्रतिबंधित होता है। किसी भी चौपाल पर कोई भी महिला नहीं चढ़ सकती है, लेकिन गांव की लड़की को चौपाल पर चढ़ने का अधिकार होता है। चौपालों पर गांव की महिलाओं के न चढ़ने का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है, लेकिन ग्रामीण पुराने जमाने से चली आ रही प्रथा की आज तक पालन कर रहे हैं। गावों में भले ही महिलाएं सरपंच या पंच बन गई हों, लेकिन उन महिलाओं को भी इन चौपालों पर चढ़ने का अधिकार नहीं है। 14 अप्रैल को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के जन संवाद कार्यक्रम के दौरान भी गांव चांदहट में महिला सरपंच के चौपाल पर न चढ़ने पर मुख्यमंत्री द्वारा चौपाल पर चढ़ाने को लेकर भारी विवाद हुआ था। ग्रामीणों ने परंपरा का पालन करते हुए महिला सरपंच को चौपाल पर चढ़ने नहीं दिया था। गांव भिडूकी में सबसे ज्यादा 56 चौपाल बनी हुई हैं, लेकिन गांव की सरपंच महिला होने के बाद भी महिलाओं को चौपाल पर चढ़ने का अधिकार नहीं है। भिडूकी गांव की सरपंच शशिबाला का कहना है कि उनको सरपंच गांव के नागरिकों ने चुन लिया है, लेकिन आज भी वह चौपाल पर नहीं चढ़ सकती हैं। यह परंपरा पुराने जमाने से चली आ रही है, जिसको आज भी ग्रामीण निभा रहे हैं। 52 पाल के प्रधान अरुण जेलदार का कहना है कि महिलाओं को चौपाल पर न जाने का मुख्य कारण महिलाओं द्वारा पुरूषों का इन चौपालों पर पंचायतों का आयोजन करना है। पुरुषों के चौपाल पर जाने के कारण ही महिलाएं उनके सम्मान के रूप में चौपाल पर नहीं चढ़ती हैं। यह परम्परा पिछले कई दशकों से चली आ रही है। 52 पाल की ओर से इस पर किसी भी प्रकार की रोक नहीं लगाई गई है। होडल के पूर्व विधायक चौ. उदयभान का कहना है कि महिलाओं के चौपाल पर न चढ़ने की प्रथा पुरानी चली आ रही है। जिसक पालन आज भी ग्रामीण कर रहे हैं। महिलाओं को पंचायत में आरक्षण भी कांग्रेस प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी द्वारा ही प्रदान किए गए थे। बीडीओ नरेश कुमार का कहना है कि चौपाल पर महिलाओं के चढ़ने पर सरकार की ओर से किसी भी प्रकार की रोक नहीं है तथा ग्रामीणों की यह अपनी ही परम्परा है। प्रशासन द्वारा किसी भी प्रकार की इनके चढ़ने पर रोक नहीं लगाई गई है।