सरकार के सहयोगी भी दुकानों पर नाम लिखने के खिलाफ
नयी दिल्ली, 19 जुलाई (एजेंसी)
केंद्रीय मंत्री और भाजपा की सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने भोजनालयों के मालिकों से उनके नाम प्रदर्शित करने संबंधी मुजफ्फरनगर पुलिस के आदेश का खुलकर विरोध किया है। उन्होंने कहा कि वह जाति या धर्म के नाम पर भेद किए जाने का कभी भी समर्थन नहीं करेंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या वह मुजफ्फरनगर पुलिस के आदेश से सहमत हैं, पासवान ने कहा, ‘नहीं, मैं बिलकुल सहमत नहीं हूं।’ पासवान ने कहा, ‘हमें इन दोनों वर्गों के लोगों के बीच की खाई को पाटने की जरूरत है। गरीबों के लिए काम करना हर सरकार की जिम्मेदारी है, जिसमें समाज के सभी वर्ग जैसे दलित, पिछड़े, ऊंची जातियां और मुस्लिम भी शामिल हैं। समाज में सभी लोग हैं। हमें उनके लिए काम करने की आवश्यकता है।’
भाजपा नीत राजग में शामिल जदयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा कि यह फरमान प्रधानमंत्री मोदी की ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ वाली अवधारणा के विरुद्ध है। इससे सांप्रदायिक विभाजन होता है।’ रालोद की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष रामाशीष राय ने आदेश का विरोध करते हुए कहा, ‘उत्तर प्रदेश प्रशासन का दुकानदारों को दुकान पर अपना नाम और धर्म लिखने का निर्देश देना जाति और सम्प्रदाय को बढ़ावा देने वाला कदम है। प्रशासन इसे वापस ले, यह असंवैधानिक निर्णय है।’
उत्तराखंड में भी ऐसा ही फरमान
देहरादून : उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा मार्ग पर खाने की दुकान और ढाबा संचालकों से अपने प्रतिष्ठान के बाहर अपना नाम, पता और मोबाइल नंबर लिखने को कहा गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह निर्णय कांवड़ यात्रा की तैयारियों की समीक्षा के लिए 12 जुलाई को बुलाई गयी बैठक के दिन ही ले लिया गया था। मुख्यमंत्री ने कहा, 'अपना परिचय देने में किसी को क्यों समस्या होनी चाहिए।
आदेश तुरंत वापस लिया जाए : प्रियंका
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘उत्तर प्रदेश में ठेलों, खोमचों और दुकानों पर उनके मालिकों के नाम का बोर्ड लगाने का विभाजनकारी आदेश हमारे संविधान, हमारे लोकतंत्र और हमारी साझी विरासत पर हमला है। यह आदेश तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।’