आज के युग में भी चौपालों पर चढ़ने का अधिकार नहींरूढ़िवादी प्रथा में घिरी होडल के कई गांवों की महिलाएं
बलराम बंसल/निस
होडल, 22 दिसंबर
21वीं सदी में जबकि भारत चांद पर परचम लहरा चुका है और इसमें महिलाओं का अहम योगदान रहा है। साथ ही महिलाएं कई क्षेत्रों में अपना अहम योगदान दे रहीं हैं। वहीं, होडल उपमंडल के कई गांवों में आज भी महिलाओं को चौपालों पर चढ़ने की अनुमति नहीं है। सरपंच, पंच, ब्लॉक समिति सदस्यों, जिला परिषद में जीत कर आने के बाद भी महिलाएं चौपाल पर नहीं चढ़ सकती। गांवों में आयोजित किसी पंचायत में निर्वाचित महिला सरपंच केवल चौपाल से नीचे ही आयोजित पंचायत में भाग लेती हैं व किसी बैठक के भी चौपाल पर आयोजन में निर्वाचित महिला सरपंच को चढ़ने का अधिकार प्रदान नहीं है।
बताया जाता है कि पौरोणिक मान्यताओं के अनुसार महिलाओं को चौपालों पर चढ़ने का अधिकार प्राप्त नहीं था। इसी कारण आज जनप्रतिनिधि के रूप में महिलाओं के चुने जाने पर भी उन्हें चौपालों पर नहीं चढ़ने दिया जाता।
पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के चान्दहट गांव में आयोजित खुले दरबार में गांव की महिला सरपंच के चौपाल पर नहीं चढ़ने पर मुख्यमंत्री खासे नाराज हुए थे। महिला प्रतिनिधियों के अलावा किसी महिला अधिकारी के गांव में आगमन पर उसके भी चौपाल पर चढ़ने पर ग्रामीणों द्वारा आपत्ति की जाती है।
समाप्त होनी चाहिए प्रथा : नवीन रोहिल्ला
होडल विधानसभा क्षेत्र की प्रत्याशी डॉ. नवीन रोहिल्ला का कहना है कि आज के युग में जहां महिलाओं को अनेक अधिकार प्रदान किए गए हैं व महिलाएं राष्ट्रपति के पद पर भी आसीन हो चुकी हैं, वहीं इस प्रकार की रूढ़िवादी प्रथा को भी समाप्त करना चाहिए।
लड़नी होगी हक की लड़ाई : मनीषा
नगर परिषद होडल उप प्रधान मनीषा का कहना है कि गांवों में महिलाओं को चौपालों पर नहीं चढ़ना आज के युग में भी एक सपने के समान है। चौपालों पर न चढ़ने की प्रथा को समाप्त करके महिलाओं को भी चौपालों पर बैठ कर अपने हक की लड़ाई लड़नी चाहिए।
सरकार ला रही योजना : उपमा अरोड़ा
डीडीपीओ उपमा अरोड़ा का कहना कि चौपालों पर महिलाओं के न चढ़ने की पौराणिक प्रथा को पूरी तरह से समाप्त करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जैंदापुर गांव में महिलाओं को चौपाल पर बिठाने का कार्य किया गया था व हरियाणा सरकार द्वारा महिलाओं के लिए केवल महिला चौपालों का निर्माण करने की भी योजना लाई जा रही है, ताकि महिलाएं भी समाज में अपनी पूर्णतया भागेदारी निभा सकें।