12 वर्षीय बच्ची दुनिया छोड़ने के बाद भी दे गई छह लोगों को नयी जिंदगी
विवेक शर्मा/टि्रन्यू
चंडीगढ़, 18 मई
12 वर्षीय बच्ची ने दुनिया छोड़ने के बाद भी छह लोगों को नयी जिंदगी दी। उत्तर प्रदेश के बदायूं जिला के गांव मुंडिया की रहने वाली 12 वर्षीय सयोग्ता एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गई थी। शुरुआत में ईएसआईसी बद्दी में उपचार प्राप्त करने के बाद उसी दिन घायल को पीजीआईएमईआर में भर्ती कराया गया था। मेडिकल टीम के सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद 17 मई, 2024 को सयोग्ता को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था। पीजीआई के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. विपिन कौशल ने बताया कि परिवार की सहमति के बाद, सयोग्ता के अंगों-दिल, लिवर, किडनी और कॉर्निया को पुनः प्राप्त किया गया। इसके बाद अंगों का मिलान किया गया। सयोग्ता के पिता बद्दी में काम करते थे।
सयोग्ता के दिल का मिलान यहां से 2500 किलोमीटर दूर चेन्नई में एक मरीज से हुआ। पीजीआई की टीम ने ‘ग्रीन कॉरिडोर’ बनाकर 22 मिनट में दिल पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ से अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे मोहाली तक भेजा। चेन्नई में रात 8.30 बजे उतरने के बाद निकाले गए हृदय को चेन्नई के एमजीएम हेल्थकेयर अस्पताल ले जाया गया, जहां इसे एक असाध्य रूप से बीमार 6 वर्षीय बच्ची को प्रत्यारोपित किया गया।
निकाले गए लिवर को 36 वर्षीय गंभीर बीमार पुरुष रोगी में प्रत्यारोपित किया गया, जिससे उसे दूसरा जीवन मिला। गुर्दे की विफलता के दो मरीज एक 25 वर्षीय पुरुष और एक 42 वर्षीय पुरुष में प्रत्यारोपित किया गया। दो कॉर्निया दृष्टिहीन रोगियों को दृष्टि का उपहार मिला।
पीजीआई के डायरेक्टर प्रो. विवेक लाल ने परिवार के फैसले की प्रशंसा की और आभार जताया। उन्होंने कहा कि परिवार के फैसले से 6 लोगों को नयी जिंदगी मिली है। मृतक सयोग्ता के पिता हरिओम ने कहा कि बेटी को खोने का दर्द कभी भुलाया नहीं जा सकता, लेकिन दूसरों को अंग देकर उनकी बेटी अब भी दुनिया में रहेगी।