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जीवन का सार

01:50 PM Jul 05, 2022 IST

चींटी रानी बिना बैग के

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पहुंच गई बाजार

हर मौसम की खातिर उसने

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जमा किया भंडार।

जान बहुत छोटी है लेकिन

साहस अपरंपार

गर्मी सर्दी हो या बारिश

कभी ना माने हार।

सुबह सवेरे चलें काम पर

बनकर एक कतार

अपनी ताकत से भी बढ़कर

मिलकर करें शिकार।

आपस में जब भी मिलती हैं

रुक कर बतियाती हैं

खतरे का जब हो अंदेशा

सैनिक बन जाती हैं।

खाना खाते हुए जमीं पर

कुछ-ना-कुछ गिर जाता

झुंड चीटियों का आ-आकर

झट-पट सब ले जाता।

मेरे घर में दाना पानी

कभी ना हो बेकार

चींटी से सीखा है मैंने

जीवन का यह सार।

डॉ़ बी़ मदन मोहन

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