65 के बाद एंट्री, शेयरों में लगा सकेंगे आधा फंड
नयी दिल्ली, 29 अगस्त (एजेंसी)
राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) से 65 साल की उम्र के बाद जुड़ने वाले अंशधारकों के लिए इसे और आकर्षक बनाया गया है। इसके तहत ऐसे लोगों को अपने 50 फीसदी तक कोष को इक्विटी या शेयरों के लिए आवंटित करने की अनुमति दी गयी है। साथ ही वरिष्ठ नागरिकों के लिए बाहर निकलने के नियमों को सुगम किया गया है। एनपीएस से जुड़ने की आयु को 65 से बढ़ाकर 70 साल किए जाने के बाद पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) ने प्रवेश और बाहर निकलने के नियमों को संशोधित किया है। एनपीएस में प्रवेश की आयु को 18-65 से संशोधित कर 18-70 किया गया है।
संशोधित दिशानिर्देशों पर पीएफआरडीए के सर्कुलर के अनुसार, 65-70 आयु वर्ग में कोई भी भारतीय नागरिक या विदेशों में बसा भारतीय नागरिक (ओसीआई) एनपीएस से जुड़ सकता है। वह इस योजना के साथ 75 साल की उम्र तक जुड़ा रह सकता है। जिन अंशधारकों ने अपने एनपीएस खाते को बंद कर दिया है, वे भी आयु में बढ़ोतरी के नियमों के अनुरूप नया खाता खोल सकते हैं।
यदि कोई अंशधारक 65 साल की उम्र के बाद एनपीएस से जुड़ता और डिफॉल्ट ऑटो चॉइस के तहत निवेश का फैसला करता है, तो उसे शेयरों में सिर्फ 15 फीसदी तक का ही निवेश करने की अनुमति होगी। एनपीएस से 65 साल की उम्र के बाद जुड़ने वाले अंशधारकों के लिए सर्कुलर में कहा गया है कि उन्हें सामान्य तौर पर 3 साल के बाद बाहर निकलने की अनुमति होगी। पीएफआरडीए ने कहा कि अंशधारक को ‘एन्यूइटी’ की खरीद के लिए कम से कम 40 फीसदी कोष का इस्तेमाल करना होगा। शेष राशि को एकमुश्त निकाला जा सकता है। यदि अंशधारक का कोष 5 लाख रुपये या इससे कम है, तो वह पूरी जोड़ी गयी पेंशन को एकमुश्त निकाल सकता है। तीन साल से पहले एनपीएस से बाहर निकलने को ‘प्रीमैच्योर एग्जिट’ माना जाएगा। इसमें अंशधारक को ‘एन्यूइटी’ के लिए कम से कम 80 फीसदी कोष का इस्तेमाल करना होगा। यदि अंशधारक समय से पहले एनपीएस से निकलना चाहता है और उसका कोष 2.5 लाख रुपये से कम है, तो वह जोड़ी गयी पूरी राशि को एक बार में निकाल सकता है।
सांसदों, विधायकों की पेंशन पर कर नहीं तो रिटायर कर्मियों पर क्यों
पेंशनभोगियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से देश के वरिष्ठ नागरिकों को राहत के लिए पेंशन को आयकर से मुक्त करने की मांग की है। पेंशनभोगियों के निकाय भारतीय पेंशनभोगी मंच ने इस बारे में 25 अगस्त को प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। पत्र में दलील दी गयी है कि जब सांसदों और विधायकों की पेंशन पर कर नहीं लगता है, तो सरकार सेवानिवृत्त कर्मचारियों को मिलने वाली पेंशन पर आयकर क्यों लेती है। पत्र में कहा गया है कि प्रत्येक सेवानिवृत्त व्यक्ति को पेंशन का भुगतान बरसों तक देश की सेवा के लिए किया जाता है। मंच ने कहा, ‘अब सवाल उठता है कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों पर आयकर क्यों लगता है। यह किसी सेवा या कार्य से मिलने वाली आय नहीं है। यदि सांसद और विधायकों की पेंशन करमुक्त है, तो हमारी पेंशन पर कर क्यों लिया जाता है।’ पेंशनभोगी मंच ने 23 जुलाई, 2018 को महाराष्ट्र के शिरडी में अपने पहले अखिल भारतीय सम्मेलन में यह प्रस्ताव दिया था कि पेंशन को आयकर से छूट मिलनी चाहिए। उसके बाद से संगठन द्वारा लगातार यह मुद्दा वित्त मंत्री के साथ भी उठाया गया। पत्र में प्रधानमंत्री से इस मुद्दे को लेकर हस्तक्षेप की अपील की गई है। मंच ने कहा कि उसने इस मुद्दे पर वित्त मंत्री को 23 अगस्त, 2018, 14 दिसंबर, 2018 और 25 फरवरी, 2021 को पत्र लिखा था। मंच ने कहा कि इस मुद्दे पर अभी तक कुछ नहीं किया गया है।