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फ्लैट में भी लें बगिया का नजारा

07:25 AM May 07, 2024 IST
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अनु आर.
हम सब इस तथ्य से वाकिफ हैं कि आधुनिक शहरों की रिहाइश में जमीन का अभाव हो गया है। महानगरों में 60-65 फीसदी लोग फ्लैटों में रहते हैं या छोटे घरों में रहते हैं जहां आंखों को सुकून और दिल को राहत देने वाली बागवानी का साथ नहीं मिलता। लेकिन एक दूसरे तथ्य पर भी गौर करें। एर्म्स्टडम और बोन ये दो ऐसे शहर है जहां 80 फीसदी से भी ज्यादा लोग फ्लैटों में रहते हैं। इनमें टोकियो भी शामिल है। लेकिन इन तीनों शहरों की विशेषता ये है कि 90 फीसदी से ज्यादा घरों में ताजे, साफ-सुथरे और शुद्ध हवा देने वाले पौधे होते हैं। साथ ही ऐसी दर्जनों जड़ी बूटियां और मौसमी सब्जियां भी ये लोग स्मार्ट तरीके से अपने इन फ्लैट में उगा लेते हैं, जिससे इनकी सेहत तो सही रहती ही है, इनका खर्च भी कम हो जाता है। लेकिन हम हिंदुस्तानी आमतौर पर घर में बगिया यानी किचन गार्डन न होने की बात लेकर बैठे रहते हैं। आइये जानें कि 60-70 गज के फ्लैट में भी आप कैसे अपनी मनपसंद बगिया बना सकते हैं।

एक साथ कई फायदे इंडोर गार्डनिंग के

एक जमाने में भले इंडोर गार्डन सिर्फ खूबसूरती का जरिया रहे हों, लेकिन आज महानगरों में तेजी से पसंद की जा रही इंडोर गार्डनिंग घर को खूबसूरत दिखानेभर के लिए नहीं की जा रही है। हालांकि ऐसा हो तो भी इसमें बुराई भी नहीं है। लेकिन फिलहाल हम यहां बताते हैं कि इंडोर गार्डनिंग इससे भी कहीं ज्यादा आज जरूरी किसलिए है। सबसे पहला इंडोर गार्डनिंग का जो फायदा है, वह यह है कि इससे घर की हवा शुद्ध होती है, गुणवत्तापूर्ण होती है। पश्चिमी देशों के कई मनोवैज्ञानिक लोगों को मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए इंडोर गार्डनिंग का नुस्खा देने लगे हैं। दरअसल इंडोर गार्डनिंग से तनाव कम होता है, मूड बेहतर रहता है और पौधों व बागवानी के बारे में सीखने में मदद मिलती है और यह सीखना इसलिए जरूरी है, क्योंकि इससे मूड फ्रेश रहता है। इंडोर गार्डनिंग में घरों के तहत घर के अंदर ड्राइंग रूम, लिविंग रूम और हॉल आदि में पौधे रखे जाते हैं। इसमें खासकर उन पौधों को तरजीह देनी चाहिए, जिन्हें धूप की जरूरत नहीं होती। ऐरिका पाम और कई किस्म के स्नेक प्लांट सबसे अच्छे इंडोर गार्डनिंग के प्लांट हैं। इनकी वजह से कमरे के भीतर रहते हुए भी हम साफ-सुथरी सांस ले सकते हैं।

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बालकनी गार्डनिंग : सब्जी से लेकर फूल तक

बालकनी गार्डनिंग अपनाकर हम खुद के लिए ताजी व हरी सब्जियां उगा सकते हैं, क्योंकि बालकनी गार्डन हमारा ज्यादा स्पेस नहीं घेरती। गार्डनिंग के इस तरीके से हम सीधे-सीधे बालकनी से आने वाले पर्यावरण के दुष्प्रभाव को भी रोक सकते हैं। बालकनी को आंशिक रूप से ढककर धूप और गर्मी दोनों से राहत पायी जा सकती है। लेकिन बालकनी में गार्डनिंग का असली मजा ये है कि इससे घर का सौंदर्य भी निखरे और घर में आने वाले लोगों को भी अच्छा लगे। बालकनी गार्डनिंग में जैसमिन, लैवेंडर, जेड प्लांट और पीस लिली भी लगायी जा सकती है। ये बालकनी गार्डनिंग के लिए सबसे उपयुक्त पौधे हैं। बालकनी की रेलिंग के अतिरिक्त आप दीवार पर भी हुक लगाकर कुछ गमले टांग सकती हैं, लेकिन ध्यान रहे ये गमले बहुत भारी न हों।

विंडोसिल गार्डनिंग से रचनात्मक सुख

विंडोसिल गार्डनिंग एक नया ट्रेंड है। इसके चलते लोग घरों की रसोई में कुकिंग में इस्तेमाल होने वाली सामग्री को खिड़कियों पर छोटे-छोटे गमलों में उगाते हैं। इससे जहां रचनात्मक सुख मिलता है, वहीं धनिया, पालक, मेथी, पुदीना, बेबी चुकंदर जैसी सब्जियां उगाकर हम अपने किचन बजट को भी काबू में रख पाते हैं।
ये तीन तरह की गार्डनिंग के तरीके आपको फ्लैट में रहते हुए भी बागवानी का सुख दे सकते हैं। इसलिए देर किस बात की, कुदरत को अपने नजदीक लाने के लिए अपार्टमेंट गार्डनिंग का श्रीगणेश कर दें। -इ.रि.सें.

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