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शेयर बाजार की गिरावट में एन्जॉय कीजिए

06:29 AM Aug 09, 2024 IST
शेयर बाजार की गिरावट में एन्जॉय कीजिए
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अंशुमाली रस्तोगी

लुढ़कना, उठना, संभलना, फितरत है सेंसेक्स की। ये ऐसे ही चलता आया है। ऐसे ही चलता रहेगा। इसकी फितरत पर कयास चाहे जितना लगा लीजिए पर बदल कोई न पाया और पाएगा इसे। हां, बदलने की कोशिश जिसने भी की, वो हारा ही।
इसीलिए, सिर्फ इसीलिए सेंसेक्स की गिरावट को एन्जॉय करता हूं। गिरकर ये चांस देता है, खरीदने का। रुके हुए पैसे को बहाव में लाने का। दो का दस करने का। आरामकुर्सी पर बैठ सुकून से जिंदगी बसर करने का। यकीन मानिए, सेंसेक्स जब भी रपटा, दिल को मजबूत किया। दिमाग को शांत किए रहा। हड़बड़ी में आकर कुछ गड़बड़ नहीं की। यार-दोस्तों को भी यही समझाया : ये शेयर बाजार है, यहां डूबकर सुरक्षित पार निकलने वाले को ही ‘सिकंदर’ कहा जाता है। अगर रख सकते हैं तो अपने सेंटिमेंट को मजबूत रखिए। यहां जो डर गया समझिए मर गया।
सेंसेक्स गुरु है। इससे जिंदगी में, हर रोज, बहुत कुछ सीखने को मिलता है। कभी न हारना इसी से सीखा। गिरकर तुरंत खड़े हो जाना इसी से सीखा। किसी के कहे या फब्तियों पर ध्यान न देना इसी से सीखा। धैर्य के साथ पैसा कमाना भी इसी से सीखा। मगर लोग हैं कि शेयर बाजार को ‘सट्टेबाजी का घर’ कहकर गरियाते हैं।
अमेरिका में मंदी की खबर जोर पकड़ रही है। असर भी दिख रहा है। दुनियाभर के शेयर बाजार गोता लगा रहे हैं। वारेन बफे जैसे ऊंचे खिलाड़ी बाजार से पैसा निकाल रहे हैं। समझदार वही है, जो मौका देख चौका जड़ दे। वरना, ये बाजार और पूंजी सगी किसी की नहीं। पिछली मंदी गवाह है। तब जो डूबा आज तलक सतह पर न आ सका। डूबते को यहां तिनके का भी सहारा नहीं।
कितने ही लोगों को कहते सुना है कि बाजार सेंटिमेंट्स पर चलता है। सेंटिमेंट्स तो बहाना होते हैं, डूबने की दहशत मार देती है।
बात थोड़ा कड़वी लगेगी पर अपनी आजमाई हुई है कि, सेंसेक्स, पूंजी और महबूबा सगे किसी के नहीं होते। अपने वादे, इरादे से कब पलट जाएं कोई भी नहीं जानता। पोथियां भर दी बाजार के पंडितों ने नक्के बनाते-बनाते मगर समझ फिर भी न पाए इसकी चाल और चालाकी को।
बाजार से मिल रहे फायदे पर फोकस कीजिए। नुकसान का गम गलत करने के तरीके हजार। धन और धैर्य की सलाहियत जिसके पास, सिर्फ वही बाजार से जीत सकता है। खुद इस बाजार की छत्र छाया में रहते इतने बरस हुए कभी-कभी दुलत्ती ये मुझे भी मार ही देता है। आखिर अर्थव्यवस्था का ‘बॉस’ जो ठहरा! आगे गिरावट या मंदी का प्रकोप कितना गहरा है काबिल (!) विशेषज्ञ जानें।

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