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ऊर्जा का सदुपयोग

12:08 PM Sep 01, 2021 IST

एक बार स्वामी विवेकानन्द के पास एक युवक आया। उसने उनके सामने अपनी परेशानी रखी। कहने लगा, ‘मैं बहुत गतिशील हूं, सुबह से शाम इतना काम करता हूं, मगर मेरे महाविद्यालय में सम्मान औरों को मिला। लेकिन मुझे कोई मान पत्र दिया ही नहीं गया।’ व्यक्ति की बात सुनकर विवेकानन्द उसको अपने साथ रेलवे जंक्शन तक ले गये। रेलगाड़ी के नजदीक ले जाकर वे बोले, ‘देखो, यह है रेल का इंजन इसके पास खड़े होकर देखो। काम करने वाली भाप का स्वर कोई नहीं सुनता, केवल व्यर्थ जाने वाली भाप ही शोर मचाती है। जो ऊर्जा और शक्ति तुम उपयोग कर रहे हो वो अपना काम पूरी शांति से कर रही है उसको चीखने और ढोल पीटने की कभी कोई जरूरत नहीं है। इसलिए हर बात का प्रचार और प्रदर्शन नकारात्मक है, इससे बचो।’ युवक उसी समय जाग्रत हो गया और बस हर समय काम पर ही ध्यान देने लगा अब वह नाम पर आसक्त नहीं रहा। प्रस्तुति : पूनम पांडे 

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