बचपन की अच्छी आदतों से ही ऊर्जावान जीवन
डॉ. मोनिका शर्मा
आपने बहुत से लोगों को अपनी ही उन आदतों से जूझते देखा होगा, जो उम्र के साथ उनकी जीवनशैली का हिस्सा बन गईं। चाहकर भी एक खास तरह की तयशुदा सी जीवन पद्धति से न निकल पाने की यह स्थिति अभिभावकों को चेताने वाली है। बच्चों को अपना दिन सही ढंग से शुरू करने का पाठ पढ़ाने की बात लिए है। ध्यान रहे कि स्वस्थ और सधा जीवन जीने की बहुत-सी कोशिशों के बाद भी उम्र के पहले ही पड़ाव से जड़ें जमा लेने वाली आदतों से छुटकारा नहीं मिल पाता। साथ ही इन आदतों को एक दिन या हफ्ते-महीने भर फॉलो करना काफी नहीं है। जरूरी है कि बच्चे अपने हर दिन की शुरुआत के सही तौर-तरीकों को अपनाएं। धीरे-धीरे ये आदतें उनकी जीवनशैली का हिस्सा बन जाएंगी। एक उम्र के बाद आदतें बदलना वाकई बेहद मुश्किल होता है। आवश्यक है कि अच्छी आदतों की शुरुआत बचपन से ही हो।
ऊर्जा भरी सुबह
दिन के अच्छे और प्रॉडक्टिव आरंभ के लिए सुबह की बेहतर शुरुआत आवश्यक है। ऐसे में बच्चों को बचपन से ही सुबह-सुबह ऊर्जावान रहने की सीख दें। घर का माहौल पॉजिटिव और प्रॉडक्टिव बनाएं। अभिभावक खुद भी एक्टिव और आशावान रहें। बालमन को भी समझ मिले कि हर नया दिन जीवन के नये पन्ने के समान होता है। जिस पर कुछ अच्छा लिखने का प्रयास हो। कुछ नया सीखने की कोशिश की जाए। यूं ऊर्जावान नजरिये के साथ दिन शुरू करने से उनके मन में सुबह से ही दिन की सही रूपरेखा बन जाती है। नियत समय पर उठने की आदत से हुई ऊर्जा भरी सुबह की शुरुआत दिन भर तरोताजा रखती है।
व्यवस्थित जीवनशैली
सुबह-सुबह कुछ समय निकालकर बच्चों से अपना कमरा और अलमारी व्यवस्थित करने के लिए भी कहें। आमतौर पर लगता है कि ऐसे कामों में बच्चों का काफी समय लग जाता है। जबकि सच तो यह है कि चीजों को व्यवस्थित रखना उनका समय बचाता है। हर चीज सही जगह पर मिलती है। यह अपने कमरे को व्यवस्थित रखने की आदत बना देता है। अपनी चीजों को सही सहेजने की यह आदत ताउम्र बनी रहती है। रूम को क्लटर फ्री रखने की आदत से आगे जीवन में बहुत मदद मिलती है। एक उम्र के बाद भी वे अपनी किताबों, बिस्तर, कपड़ों, खिलौनों या दूसरे सामानों को ढंग से सहेजकर रखना नहीं भूलते। इसीलिए सुबह बच्चों को थोड़ा समय कमरे की चीजों को सुव्यवस्थित करने के लिए जरूर दें।
सक्रियता की सीख
बच्चों के दिन की शुरुआत कभी भी आलस और टालमटोल के बर्ताव से न हो। निष्क्रिय रहने की आदत अपनी जड़ें जमा ले तो उम्रभर नहीं जाती है। दिलो-दिमाग हर बात, हर काम के लिए कोई बहाना ढूंढने के मोड में चला जाता है। इसीलिए बचपन में ही घर के छुटके सदस्यों में सक्रिय रहने की आदत डालने की कोशिश की जानी चाहिए। अभिभावक प्यार से बच्चों को एक्टिवली अपना काम करने, स्कूल के लिए तैयार होने के बारे समझाएं। इसके फायदे भी बताएं। एक उम्र के बाद बच्चों में सुबह एक्सरसाइज की आदत भी डालनी चाहिए। वहीं दिन की शुरुआत स्मार्ट गैजेट्स के साथ बिल्कुल नहीं होनी चाहिए। बच्चे सुबह-सुबह स्मार्टफोन की स्क्रॉलिंग में लग जाते हैं। यह बेहद चिंतनीय है। अभिभावक खुद भी दिन की शुरुआत स्क्रीन में झांकते हुए न करें। यह अनुशासन समय और ऊर्जा बचा सकता है। बेहतर हो यह आदत बच्चों में शुरुआत से डालें। इसके लिए पैरेंट्स को हर दिन कोशिश करनी होगी।
स्वच्छता का पाठ
स्वयं स्वच्छ रहना और अपनी चीजों को साफ-सुथरा रखने की आदत भी बचपन से ही डालना आवश्यक है। अभिभावक ना केवल न केवल बच्चों में शरीर की सफाई रखने की बल्कि अपनी किताबों और कपड़ों को भी स्वच्छ रखने की आदत डालें। पुस्तकें हों या स्कूल यूनिफ़ॉर्म, स्कूल बैग हो या अन्य सामान-अगर शुरू से ही बच्चे सफाई रखना सीखते हैं तो आदत बन जाती है। गंदा और अस्त-व्यस्त यूनिफ़ॉर्म हो या कटी-फटी किताबें- ऐसी चीजों को लेकर अभिभावक बच्चों को जरूर टोकें। शुरुआत में माता-पिता बच्चों की इन चीजों को साफ-सुथरा रखने में मदद करें और आगे चलकर बच्चे स्वयं करें।
आस्था का भाव
दिन की शुरुआत में बच्चों को अपने घर-परिवार की रीति-नीति के अनुसार आस्था के भाव से भी जोड़ें। सुबह-सुबह ईश्वर का स्मरण कर जीवन में मिली हर सुविधा के लिए आभारी होना सिखाएं। यह बच्चों को विनम्र भी बनाता है। पॉजिटिव माइंडसेट देता है। बालमन को संबल मिलता है। सहजता से आदर्श व्यवहार और विचार उनके व्यक्तित्व का हिस्सा बनते जाते हैं। हर बात में शिकायत करना उनकी आदत में नहीं आता। अभिभावक बच्चों के साथ कोई प्यारी सी प्रार्थना कर सकते हैं।