एलिवेटेड ट्रैक बना मॉडल, सड़क बनी बोझ
रोहतक, 1 जुलाई (हप्र)
रोहतक में 315 करोड़ से बने देश के पहले एलिवेटेड रेलवे ट्रैक को शहर के लिए मील का पत्थर माना गया था, लेकिन उसके साथ प्रस्तावित सड़क आज भी अधूरी है। बजरंग भवन से गांधी कैंप तक बनने वाली 3.8 किलोमीटर लंबी यह सड़क 21.27 करोड़ रुपये खर्च करके महज 9 महीनों में बननी थी, लेकिन वर्षों बाद भी केवल वादे ही नजर आते हैं। मंगलवार को डीसी धर्मेंद्र सिंह ने एक बार फिर समीक्षा बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए कि सड़क निर्माण कार्य में तेजी लाई जाए। पर हकीकत ये है कि न बिजली के खंभे हटे, न वन विभाग की आपत्तियां दूर हुईं, और न ही आवश्यक भूमि अधिग्रहण पूरा हुआ। यह सड़क गांधी कैंप, झंग कॉलोनी, मानसरोवर कॉलोनी, सुभाष नगर, किशनपुरा, मॉडल टाउन, लक्ष्मी नगर, कबीर कॉलोनी, विशाल नगर, सेक्टर-5 व सेक्टर-6 जैसे इलाकों को जोड़ती है। इससे लगभग 50 हजार से अधिक लोग सीधे लाभान्वित हो सकते थे, लेकिन अधूरी योजना के कारण लोग आज भी जाम, कीचड़ और असुविधा का सामना कर रहे हैं। लोगों का कहना है सरकारी विभागों में तालमेल की कमी लोगों की परेशानी का सबब बनी हुई है।
बतादें कि यह ट्रैक भारतीय रेलवे की ऐतिहासिक परियोजना थी, जिसमें 315 करोड़ रुपये खर्च हुए और 225 करोड़ राज्य सरकार ने वहन किए, लेकिन उसके साथ चल रही यह सड़क योजना अधूरी रहकर उस गौरव को भी फीका कर रही है। ट्रैक के किनारे कई कॉलोनियों की मुख्य सड़क अब सिर्फ नाम की है, उस पर से चलना जोखिम भरा हो चला है।