जिलाधिकारियों को प्रभावित करने के दावे की पुष्टि के लिए रमेश को अतिरिक्त समय देने से चुनाव आयोग का इनकार
निर्वाचन आयोग ने सोमवार को कांग्रेस नेता जयराम रमेश को उनके इस दावे की पुष्टि के लिए अतिरिक्त समय देने से इनकार कर दिया कि लोकसभा चुनाव के लिए चार जून की मतगणना से पहले 150 जिलाधिकारियों और कलेक्टरों को प्रभावित करने का प्रयास किया गया था। रमेश को निर्वाचन आयोग ने रविवार शाम तक उन आरोपों का तथ्यात्मक विवरण प्रस्तुत करने के लिए कहा था, जो उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लगाए थे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने सोमवार को आयोग को पत्र लिखकर अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का और समय मांगा। रमेश को लिखे पत्र में निर्वाचन आयोग ने कहा, ‘‘आयोग समय बढ़ाने के आपके अनुरोध को सिरे से खारिज करता है और आपको निर्देश देता है कि आप तथ्यात्मक आरोपों के साथ आज-तीन जून शाम 7 बजे तक जवाब दाखिल करें। ऐसा करने में विफल रहने पर यह मान लिया जाएगा कि आपके पास इस मामले में कहने के लिए कुछ भी ठोस नहीं है और आयोग उचित कार्रवाई के लिए आगे बढ़ेगा।' निर्वाचन आयोग ने कहा कि उनके इस आरोप का मंगलवार को होने वाली मतगणना प्रक्रिया की शुचिता पर सीधा असर पड़ता है। रमेश ने दावा किया था कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जिलाधिकारियों या कलेक्टरों को फोन कर रहे हैं और उन्हें ‘खुलेआम' डराने-धमकाने में लगे हैं। चुनाव के दौरान जिला मजिस्ट्रेट या कलेक्टर अपने-अपने जिलों के निर्वाचन अधिकारी होते हैं। रमेश ने दावा किया कि शाह पहले ही 150 जिला मजिस्ट्रेट या कलेक्टरों से बात कर चुके हैं। आयोग ने कहा कि किसी भी जिलाधिकारी ने इस तरह के किसी अनुचित प्रभाव की सूचना नहीं दी है, जैसा कि उन्होंने आरोप लगाया है।