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घरेलू रक्षा उद्योग को मजबूत करने की कवायद

06:19 AM Sep 30, 2023 IST

उमेश चतुर्वेदी

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देश की सुरक्षा को चाकचौबंद बनाने में भारतीय वायुसेना की महत्वपूर्ण भूमिका है। हालांकि विगत में भारतीय वायुसेना की निर्भरता विदेशी तकनीक पर ज्यादा रही है लेकिन अब एयरफोर्स लगातार स्वदेशी तकनीक पर निर्भर होती जा रहा है।
भारतीय सशस्त्र बलों का उद्देश्य अपने लिए बेहतर सैन्य क्षमता हासिल करना है, जिससेे देश सीमा पार से मिलने वाली चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना कर सके। भारत अपनी सुरक्षा चिंताओं की वजह से रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी तकनीक के आधार पर ताकतवर बनने की तैयारी में है। इस स्वदेशीकरण का असर दिख भी रहा है। वर्ल्ड डायरेक्टरी ऑफ़ मॉडर्न मिलिट्री एयरक्राफ्ट ने साल 2022 की ग्लोबल एयर पॉवर्स रैंकिंग जारी की थी, जिसमें भारतीय वायुसेना को दुनिया की छठी सबसे मजबूत वायु सेना के रूप में स्थान दिया गया है। इस रैंकिंग में विमानों की संख्या और उनकी लड़ाकू क्षमता को आधार बनाया गया है।
भारतीय वायुसेना को शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए लड़ाकू प्लेटफार्मों, हेलीकॉप्टरों, रात्रि दृष्टि उपकरणों और अन्य महत्वपूर्ण रक्षा उपकरणों व बुनियादी ढांचे की कमियों को मजबूत करने की भी जरूरत है। जिसे प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के जरिये देश में संयुक्त उद्यम लगाकर हासिल किया जा रहा है। इसमें रूस, इस्राइल, फ्रांस और संयुक्त राज्य अमेरिका से प्रौद्योगिकियों का हस्तांतरण हो रहा है। इससे भारत को अपने घरेलू रक्षा उद्योग को मजबूत करने में मदद मिल रही है।
भारतीय वायु सेना ने हाल ही में एक घोषणा की जिसके मुताबिक, स्वदेशी एयरोस्पेस क्षेत्र को बढ़ावा देते हुए करीब 100 से अधिक भारत-निर्मित एलसीए मार्क 1ए लड़ाकू जेट खरीदने की योजना लागू की जा रही है। भारतीय वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने इसकी घोषणा स्पेन में तब की, जब उन्होंने पहला सी-295 परिवहन विमान प्राप्त किया। वायुसेना प्रमुख के मुताबिक, मिग 23 और मिग -27 विमानों को नियमानुसार बदलने के लिए जरूरी है कि देश के पास एलसीए श्रेणी के पर्याप्त विमान हों। इसलिए, 83 एलसीए मार्क 1ए के अलावा लगभग 100 और विमानों के लिए मामला आगे बढ़ा रहे हैं।
भारतीय वायुसेना प्रमुख ने स्वदेशी फाइटर जेट कार्यक्रम को लेकर पिछले महीने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड समेत सभी संबंधित पक्षों के साथ समीक्षा बैठक की थी। उस समय, इनमें से लगभग 100 अतिरिक्त विमान खरीदने का निर्णय लिया गया था। आने वाले दिनों में वायुसेना के पास 40 एलसीए, 180 से ज्यादा एलसीए मार्क-1ए और कम से कम 120 एलसीए मार्क-2 हवाई जहाज होंगे। एलसीए मार्क1ए के लिए आखिरी ऑर्डर 83 विमानों के लिए था और पहला हवाई जहाज फरवरी 2024 के आसपास वितरित किया जाएगा। एलसीए मार्क 1ए तेजस विमान का उन्नत रूप है जिसमें स्वदेशी सामग्री 65 प्रतिशत से भी अधिक होगी। करीब एक साल पहले जोधपुर में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा डिजाइन और विकसित किए गए ‘प्रचंड’ लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (एलसीएच) को भारतीय वायु सेना में औपचारिक रूप से शामिल किया था।
दरअसल, स्वदेशी डिजाइन और विकास के प्रति भारतीय वायुसेना द्वारा जताया गया भरोसा और समर्थन मारुत, लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट, आकाश मिसाइल सिस्टम, एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर और लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर जैसे उदाहरणों से स्पष्ट है।
स्वदेश निर्मित एलसीएच आधुनिक युद्ध की आवश्यकताओं और संचालन की विभिन्न परिस्थितियों में आवश्यक गुणवत्ता मानकों को पूरा करता है। यह आत्म-सुरक्षा करने, विभिन्न प्रकार के गोला-बारूद ले जाने और इसे तुरंत क्षेत्र में पहुंचाने में सक्षम है। एलसीएच सेना और वायु सेना दोनों के लिए उपयोगी है। एलसीएच एचएएल द्वारा डिजाइन और निर्मित पहला स्वदेशी मल्टी-रोल कॉम्बैट हेलीकॉप्टर है। जमीनी हमले और हवाई युद्ध की क्षमता है। आधुनिक स्टील्थ विशेषताएं, मजबूत कवच सुरक्षा और रात में हमला करने की क्षमता है।
आज भारतीय सेना न सिर्फ स्वदेशी तकनीक आधारित शस्त्रों और सहयोगी रक्षा उत्पादनों में सक्रिय है, बल्कि रक्षा उत्पादन का कारोबार भी बढ़ाया हुआ है। साल 2027 तक देश की रक्षा जरूरतों का अधिकांश हिस्सा खुद उत्पादित करने और इसके जरिये विदेशी मुद्रा की बचत का लक्ष्य रखा गया है। स्वदेशी रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने इस दिशा में जहां शोध और तकनीकी विकास पर फोकस किया,वहीं रक्षा उद्योग के लिए कार्यरत भारत डायनेमिक्स लिमिटेड समेत सार्वजनिक क्षेत्र की रक्षा उत्पादन कंपनियों ने अपने कामकाज की शैली में बदलाव लाने की दिशा में तेजी दिखाई। ऐसे में रक्षा प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण पर भी फोकस हुआ। पिछले पांच वर्षों में सरकार ने प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के साथ 200 से अधिक रक्षा अधिग्रहण प्रस्तावों को मंज़ूरी दी है। हालांकि अभी अधिकांश प्रसंस्करण के अपेक्षाकृत प्रारंभिक चरण में हैं। यह भी कि दुनिया के शीर्ष 100 सबसे बड़े हथियार उत्पादकों में से चार कंपनियां भारत की हैं जो सभी कंपनियां सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम हैं और घरेलू आयुध मांग के बड़े हिस्से को पूरा करने की जिम्मेदारी इन्हीं पर है।

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