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कोचिंग सेंटरों की मनमानी रोकने की कवायद

10:20 AM Nov 19, 2024 IST
कोचिंग सेंटरों की मनमानी रोकने की कवायद
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कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापनों पर लगाम लगाने के मकसद से जारी हालिया दिशा-निर्देश छात्रों के शोषण को रोकने एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे विद्यार्थियों व अभिभावकों को झूठे वायदों से गुमराह करने या अनुचित अनुबंधों के मामले में मनमानी पर लगाम लगने की उम्मीद है। पालन यकीनी हो तो इस क्षेत्र में पारदर्शिता और निष्पक्षता आयेगी।

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श्रीगोपाल नारसन

आम उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा, खासकर कोचिंग क्षेत्र में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने ‘कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश’ जारी किए हैं। जिसका उद्देश्य छात्रों और आम जनता को कोचिंग सेंटरों द्वारा भ्रामक विज्ञापन प्रथाओं से बचाना है। बता दें कि केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) की मुख्य आयुक्त और भारत सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव, निधि खरे की अध्यक्षता में एक समिति भी गठित की गई थी, जिसमें केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, शिक्षा मंत्रालय, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी, राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय दिल्ली, विधि फर्म और उद्योग हितधारकों जैसे संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। पर्याप्त विचार-विमर्श के बाद समिति ने शिक्षा मंत्रालय, भारतीय मानक ब्यूरो, एलन, फिटजी, कैरियर 360, सिविक इनोवेशन फाउंडेशन और कंज्यूमर एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर सहित 28 विभिन्न हितधारकों से सार्वजनिक सुझाव प्राप्त किए। इस समिति का लक्ष्य ‘कोचिंग’ जिसमें शैक्षणिक सहायता, शिक्षा प्रदान करना, मार्गदर्शन, निर्देश, अध्ययन कार्यक्रम या ट्यूशन या समान प्रकृति की कोई अन्य गतिविधि शामिल है, में सुधार लाना है।

झूठा प्रचार और अनुचित अनुबंध हैं जद में

झूठे व भ्रामक दावों, अतिरंजित सफलता दरों और कोचिंग संस्थानों द्वारा छात्रों पर अक्सर थोपे जाने वाले अनुचित अनुबंधों के बारे में बढ़ती चिंताओं के मद्देनजर कोचिंग क्षेत्र में सुधार को लेकर समिति द्वारा दिशा-निर्देश तैयार किए गए हैं। इस तरह के विज्ञापनों में छात्रों को गुमराह करने, महत्वपूर्ण जानकारी छुपाने, झूठी गारंटी देने आदि शामिल हैं। इसमें प्रस्तावित पाठ्यक्रम, उनकी अवधि, संकाय योग्यता, शुल्क और धन वापसी नीतियां भी शामिल की गईं। साथ ही चयन दरें, सफलता की कहानियां, परीक्षा रैंकिंग और नौकरी सुरक्षा के वायदों पर रोक की ठोस नीति बनाई गई है।

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उल्लंघन पर उपभोक्ता कानून के मुताबिक कार्रवाई

सुनिश्चित प्रवेश, उच्च परीक्षा अंक, गारंटीकृत चयन या पदोन्नति व गुणवत्ता या मानक के बारे में भ्रामक प्रस्तुतीकरण सख्त वर्जित किया गया है। कोचिंग संस्थानों को अपने बुनियादी ढांचे, संसाधनों और सुविधाओं का सही-सही विवरण सार्वजनिक करने के निर्देश भी इसमें शामिल है। इस बाबत दिशा-निर्देशों का कोई भी उल्लंघन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 का उल्लंघन माना जाएगा। केंद्रीय प्राधिकरण के पास अपराधियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की शक्ति निहित की गई है, जिसमें दंड लगाना, जवाबदेही सुनिश्चित करना और इस तरह के भ्रामक विज्ञापनों को रोकना शामिल है। कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अनुसार शासित होंगे और दिशा-निर्देश हितधारकों के लिए स्पष्टता लाएंगे और उपभोक्ता हितों की रक्षा करेंगे।

पारदर्शिता की बंधी उम्मीद

कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापन पर लगाम लगाने को जारी ये दिशा-निर्देश छात्रों के शोषण को रोकने और यह सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हैं कि उन्हें झूठे वायदों से गुमराह नहीं किया जाए या अनुचित अनुबंधों में मजबूर न किया जाए। इन निर्देशों से इस क्षेत्र में बहुत जरूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता आने की उम्मीद है।

शिकायतों पर उपभोक्ता आयोग की कार्रवाई

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने भ्रामक विज्ञापन के लिए विभिन्न कोचिंग सेंटरों को 45 नोटिस जारी किए हैं, साथ ही 18 कोचिंग संस्थानों पर 54 लाख 60 हजार का जुर्माना भी लगाया है और उन्हें भ्रामक विज्ञापन बंद करने के निर्देश दिए हैं। उपभोक्ता मामलों के विभाग ने राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन के माध्यम से यूपीएससी सिविल सेवा, आईआईटी और अन्य प्रवेश परीक्षाओं के लिए नामांकित छात्रों और उम्मीदवारों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए मुकदमेबाजी से पहले के चरण में सकारात्मक हस्तक्षेप किया है। क्योंकि छात्रों द्वारा की गई शिकायतों में वर्ष 2021-2022 में शिकायतों की कुल संख्या 4,815 रही है। जबकि वर्ष 2022-2023 में 5,351 और 2023-2024 में 16,276 शिकायतें प्राप्त हुई हैं।

छात्रों के बढ़ते भरोसे का संकेत

कोचिंग सेंटरों की मनमानी के मामलों को लेकर शिकायतों में वृद्धि उपभोक्ता आयोगों का दरवाजा खटखटाने से पहले एक प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र के रूप में छात्रों के बढ़ते विश्वास और भरोसे को दर्शाती है। इस 2024 वर्ष में मुकदमेबाजी से पहले के चरण में अपनी शिकायतों के त्वरित निवारण के लिए 6980 छात्र शिकायत कर चुके हैं। कोचिंग सेंटरों द्वारा अनुचित व्यवहार व नामांकन फीस वापस न करने के संबंध में राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन में दर्ज की गई अनेक शिकायतों के बाद, प्रभावित छात्रों को कुल 1.15 करोड़ की फीस वापसी हुई। शिकायतों को हल करने के लिए एक अभियान भी शुरू किया गया है जो पीड़ित छात्रों को न्याय दिलाने में मददगार सिद्ध होगा।
-लेखक उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता आयोग के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं।

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