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‘एडिटर्स गिल्ड’ सदस्यों को गिरफ्तारी से 15 तक राहत

08:12 AM Sep 12, 2023 IST

नयी दिल्ली, 11 सितंबर (एजेंसी)
दो समुदायों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देने और अन्य कथित अपराधों को लेकर ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ (ईजीआई) के चार सदस्यों के खिलाफ दर्ज दो प्राथमिकियों के सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट ने कोई कठोर कदम नहीं उठाने के अपने आदेश की अवधि 15 सितंबर तक बढ़ा दी है। इसके साथ ही न्यायालय ने मणिपुर सरकार से इस बारे में राय मांगी कि क्या प्राथमिकी को रद्द करने और अन्य राहत से जुड़े याचिकाकर्ताओं के अनुरोध को फैसले के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में स्थानांतरित
किया जाये।
प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि ईजीआई की तथ्यान्वेषी समिति की रिपोर्ट के आधार पर प्राथमिकी कैसे दर्ज की गईं, जबकि चारों जमीनी स्तर पर आपराधिक गतिविधियों में शामिल नहीं थे। पीठ ने कहा, ‘आखिरकार यह एक रिपोर्ट है। मूल प्रश्न यह है कि वे जो तर्क दे रहे हैं वह यह है कि उन्होंने एक रिपोर्ट तैयार की है और यह उनकी व्यक्तिपरक राय का मामला है... यह उन मामलों में से एक नहीं है जहां कोई व्यक्ति मौके पर था और उसने कोई अपराध किया हो।’ पीठ ने कहा कि वह प्राथमिकियों को रद्द नहीं करने जा रही है, वह इस बात पर विचार करेगी कि क्या ईजीआई को मणिपुर हाईकोर्ट जाने के लिए कहा जा सकता है या मामले को दिल्ली हाईकोर्ट में स्थानांतरित किया जा सकता है। पीठ ने शुक्रवार के लिए अगली सुनवाई तय करते हुए कहा कि उसी दिन राज्य सरकार के जवाब पर गौर किया जाएगा।
मणिपुर सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई की शुरुआत में कहा कि इस मामले को अन्य मामलों की तरह मणिपुर हाईकोर्ट भेजा जाए। ईजीआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकीलों कपिल सिब्बल और श्याम दीवान ने इस दलील का विरोध करते हुए कहा कि मामले की सुनवाई शीर्ष अदालत में ही की जानी चाहिए या उसे दिल्ली हाईकोर्ट को स्थानांतरित किया जाना चाहिए, क्योंकि तथ्यान्वेषी रिपोर्ट के आधार पर प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकती।
सिब्बल ने दलील दी कि ईजीआई सदस्य स्वेच्छा से नहीं, बल्कि सेना के निमंत्रण पर मणिपुर गये थे। सेना ने पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया था कि देखें वहां क्या हो रहा है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट देने के लिए एडिटर्स गिल्ड और उसके सदस्यों पर भारतीय दंड संहिता के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।

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