आर्थिक समीक्षा : भारत की अर्थव्यवस्था 2024-25 में 6.5 से सात प्रतिशत की दर से बढ़ेगी
नयी दिल्ली, 22 जुलाई (भाषा)
वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष 2024-25 में 6.5 से सात प्रतिशत के बीच रहने की उम्मीद है। संसद में सोमवार को पेश आर्थिक समीक्षा 2023-24 में यह अनुमान लगाया गया है। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अनुमानित वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अनुमानित 8.2 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर से कम है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 31 मार्च, 2025 को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) जैसी वैश्विक एजेंसियों का मानना है कि चालू वित्त वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था सात प्रतिशत की दर से बढ़ेगी।
वित्त मंत्रालय का आर्थिक मामलों का विभाग हर साल केंद्रीय बजट से ठीक पहले संसद में इकोनॉमिक सर्वे पेश करता है। इसे संसद के दोनों सदनों में पेश किया जाता है। सर्वे में पिछले 12 महीनों में भारतीय अर्थव्यवस्था में हुए डेवलपमेंट की रिव्यू होता है। सर्वे इस बात की भी जानकारी देता है कि इस बार के बजट में क्या उम्मीद की जानी चाहिए।
ग्लोबल एनर्जी प्राइस इंडेक्स में FY24 में गिरावट आई। सरकार ने एलपीजी, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती की। इससे रिटेल ईंधन महंगाई दर FY24 में नीचे बनी रही। अगस्त 2023 में,एलपीजी कीमतों में 200 रुपए/सिलेंडर की कटौती की गई थी। वहीं मार्च 2024 में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 2 रुपए/लीटर की कटौती की।
पीएम-सूर्य घर योजना से 30 गीगावॉट सौर कैपेसिटी जुड़ने की उम्मीद है। इस पहल का उद्देश्य सोलर वैल्यू चैन में लगभग 17 लाख नौकरियां पैदा करना है। पीएम-सूर्य घर योजना इस साल फरवरी में 75,021 करोड़ रुपए की लागत के साथ शुरू की गई थी। एग्रीकल्चर सेक्टर को खराब मौसम, घटते जलाशयों और फसलों के नुकसान के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इसका असर कृषि उत्पादन और खाद्य कीमतों पर पड़ा। इससे वित्त वर्ष 24 में खाद्य महंगाई बढ़कर 7.5% हो गई। 2023 में ये 6.6% थी।
इंडियन इकोनॉमी को बढ़ती वर्कफोर्स की जरूरतों को पूरा करने के लिए नॉन-फार्म सेक्टर में 2030 तक सालाना औसतन लगभग 78.5 लाख नौकरियां पैदा करने की जरूरत है। सर्वे में ये भी बताया गया है कि 65% आबादी 35 वर्ष से कम है, फिर भी कई लोगों के पास आवश्यक स्किल का अभाव है। अभी, केवल 51.25% युवा ही रोजगार योग्य है। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की GDP ग्रोथ का अनुमान 6.5 से 7% तक बताया गया है। वहीं इसमें बताया गया है कि वित्त वर्ष 2024 में भारत की रियल GDP 8.2% की दर से बढ़ी। ये लगातार तीसरा साल है जब GDP 7% से ज्यादा दर्ज की गई।
FY26 तक राजकोषीय घाटा GDP का 4.5% या उससे कम होने की उम्मीद है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी में पेश अंतरिम बजट में भी ये बात बताई थी। वहीं वित्त वर्ष 2024-25 में राजकोषीय घाटा 0.7% कम होकर 5.1% रहने का अनुमान लगाया गया था।
भारतीयों में बढ़ती मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को रेखांकित करते हुए वित्त वर्ष 2023-24 की आर्थिक समीक्षा में इससे निपटने के लिए आमूलचूल परिवर्तन का आह्वान किया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तरफ से सोमवार को संसद में पेश आर्थिक समीक्षा 2023-24 के मुताबिक, समाज में मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना स्वास्थ्य और आर्थिक दोनों नजरिये से जरूरी है। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएमएचएस) 2015-16 के आंकड़ों का हवाला देते हुए आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि भारत में 10.6 प्रतिशत वयस्क मानसिक विकारों से पीड़ित हैं, जबकि विभिन्न मानसिक विकारों के लिए उपचार का अंतराल 70 से 92 प्रतिशत के बीच है। एनएमएचएस के अनुसार, शहरी महानगर क्षेत्रों में 13.5 प्रतिशत मानसिक रुग्णता पाई गई जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 6.9 प्रतिशत और शहरी गैर-महानगरीय क्षेत्रों में 4.3 प्रतिशत पाई गई। इसमें कहा गया है कि 25 से 44 वर्ष की आयु के व्यक्ति मानसिक बीमारियों से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।
एनसीईआरटी के ‘स्कूली छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण सर्वेक्षण' का हवाला देते हुए आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य की समस्या बढ़ रही है। इसमें कोविड-19 महामारी के कारण और वृद्धि हुई है। समीक्षा में एक सर्वेक्षण का जिक्र करते हुए कहा गया है कि 11 प्रतिशत छात्रों ने चिंता महसूस करने की बात कही है, 14 प्रतिशत ने अत्यधिक भावनात्मक उतार-चढ़ाव का जिक्र किया जबकि 43 प्रतिशत छात्रों ने मनोदशा में बहुत तेजी से बदलाव की बात कही है। सर्वेक्षण में शामिल 50 प्रतिशत छात्रों ने पढ़ाई और 31 प्रतिशत ने परीक्षा तथा परिणामों को चिंता का कारण बताया।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश किए गए दस्तावेज में कहा गया कि समीक्षा में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 6.5 से सात प्रतिशत (दोनों तरह घट-बढ़ के साथ) रहने का अनुमान लगाया गया है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि बाजार की अपेक्षाएं उच्च स्तर पर हैं। इसमें कहा गया कि अनिश्चित वैश्विक आर्थिक प्रदर्शन के बावजूद घरेलू मोर्चे पर वृद्धि को बढ़ावा देने वाले प्रमुख तत्वों ने 2023-24 में आर्थिक वृद्धि का समर्थन किया है। बेहतर बही-खाते से निजी क्षेत्र को मजबूत निवेश मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी।
समीक्षा में कहा गया, ‘ पिछले तीन साल में अच्छी वृद्धि के बाद निजी पूंजी सृजन थोड़ा अधिक सतर्क हो सकता है, क्योंकि अतिरिक्त क्षमता वाले देशों से सस्ते आयात की आशंका है।' वहीं आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि की संभावनाओं में सुधार के साथ माल तथा सेवा निर्यात में भी आगे वृद्धि होने की संभावना है। समीक्षा में कहा गया, भारत मौसम विभाग द्वारा सामान्य वर्षा का पूर्वानुमान तथा दक्षिण-पश्चिम मानसून का अबतक संतोषजनक प्रसार कृषि क्षेत्र के प्रदर्शन में सुधार लाएगा तथा ग्रामीण मांग में सुधार को समर्थन देगा।