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शुरुआती पहचान, नियमित जांच से न आएगी कैंसर की आंच

07:47 AM Nov 06, 2024 IST
शुरुआती पहचान  नियमित जांच से न आएगी कैंसर की आंच
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डॉ. माजिद अलीम

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विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ का मानना है कि जागरूकता बढ़ाने से कैंसर की रोकथाम, समय रहते उसकी पहचान और उपचार की संभावनाओं में जबरदस्त सुधार हो सकता है। इसीलिए खासतौर से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाने की सिफारिश की गयी है। हर साल 7 नवंबर को भारत में राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस मनाया जाता है। कैंसर के प्रति जागरूकता हो तो इसकी शुरुआती पहचान और समय पर इलाज से जीवित रहने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। इससे सही उपचार के विकल्पों का पता चलता है। वहीं बीमारी से जुड़ी गलत धारणाएं भी दूर होती हैं।


ऐसे रहें सजग
कैंसर के प्रति सजग रहने के कुछ तय बुनियादी तरीके हैं मसलन-समय-समय पर अपनी नियमित स्वास्थ्य जांच कराते रहें। ब्लड टेस्ट, स्क्रीनिंग, और अन्य स्कैन, शुरुआती कैंसर के लक्षणों को पहचानने में मदद करते हैं। इसके साथ ही शारीरिक लक्षणों पर ध्यान देना जरूरी है जैसे कि शरीर में कहीं गांठ तो नहीं बन रही, रक्तस्राव तो नहीं हो रहा, वजन में अचानक बहुत तेजी से घटत-बढ़त तो नहीं हो रही, खांसी लंबे समय तक ठीक न होना भी कैंसर की निशानी हो सकती है। इन सभी बातों पर ध्यान देने के साथ ही नियमित अंतराल में डॉक्टरी परामर्श जरूरी है। वहीं जीवनशैली के प्रति जागरूक रहना व इसमें सुधार करते रहना आवश्यक है। स्वस्थ आहार लें व व्यायाम रोज करें। धूम्रपान और शराब से परहेज रखें। विभिन्न किस्म के कैंसर और उनके लक्षणों की जानकारी होना भी महत्वपूर्ण है। इसके लिए नियमित अखबार पढ़ना या सोशल मीडिया में कैंसर विशेषज्ञों की बातचीत-सुझाव आदि को भी देखना चाहिए।
भारतीयों को ज्यादा जरूरत
हम भारतीयों को कैंसर से कुछ अतिरिक्त सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि यह हमारे लिए ज्यादा खतरा है। जीवनशैली में आए बदलाव, जंक फ़ूड सेवन, प्रदूषण, तंबाकू का उपयोग और आनुवंशिक कारणों से भारतीयों में कैंसर का जोखिम लगातार बढ़ रहा है। तंबाकू उत्पादों के सेवन से मुख और फेफड़े के कैंसर की तादाद में हाल में ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। देश में ब्रेस्ट कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर, और सर्वाइकल कैंसर की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस पर विशेष रूप से कैंसर की पहचान, रोकथाम, और उपचार के उपायों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए आवासीय क्षेत्रों या कार्यस्थलों के आसपास कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिनमें कैंसर को लेकर भ्रांतियों को भी दूर करने की कोशिश की जाती है। साथ ही समस्या को लेकर एक सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित किया जा सकता है। दरअसल, कैंसर से बचाव के प्रति सचेत रहना हमारी सुरक्षा का एक बुनियादी हिस्सा होना चाहिए।

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जागरूकता दिवस की शुरुआत
कैंसर जागरूकता दिवस की शुरुआत 1993 में अपने देश से ही हुई थी। इस पहल को बाद में अन्य देशों में भी अपनाया है और इसके जरिये विभिन्न प्रकार के कैंसर से बचने, उसके शुरुआती लक्षणों को समझने और उचित समय पर चिकित्सा प्राप्त करने के महत्व को उजागर किया है। इस दिन भारत सहित दर्जनों दूसरे देशों में भी स्कूलों, कॉलेजों और सामुदायिक बस्तियों में कैंसर पर आधारित शैक्षिक कार्यक्रम और सेमिनार आयोजित किए जाते हैं। टेलीविजन, रेडियो, और सोशल मीडिया के के जरिये कैंसर से संबंधित सूचनाएं साझा की जाती हैं। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता फैलाने के लिए दूरदर्शन और सामुदायिक रेडियो का भी उपयोग किया जाता है। कई जगहों पर वर्कशॉप,नुक्कड़ नाटक व रैलियां और अन्य जन-जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। कई स्वास्थ्य संगठन और गैरसरकारी संस्थाएं इस दिन कैंसर की मुफ्त जांच जैसी सेवाएं प्रदान करती हैं।


एहतियात का लाभ
निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि कैंसर जागरूकता अभियानों से कैंसर के प्रति दुनिया में जागरूकता बढ़ी है। लोगों को अब इसके जोखिमों और लक्षणों के बारे में अधिक जानकारी है, जिसके कारण कई लोग नियमित स्वास्थ्य जांच करवाते हैं और शुरुआती लक्षणों पर ध्यान देते हैं। इसका परिणाम यह है कि कई देशों में कैंसर की शुरुआती पहचान के मामलों में वृद्धि देखी गई है, जिससे इलाज अधिक प्रभावी हुआ है।
खास ध्यान देने के चार प्रमुख क्षेत्र
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कैंसर रोकथाम के लिए चार मुख्य क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने की सिफारिश की है-
पहला,तंबाकू नियंत्रण- धूम्रपान और तंबाकू के सेवन को कम करके फेफड़े और मुंह के कैंसर के मामलों में भारी कमी लाई जा सकती है। दूसरा, स्वस्थ जीवनशैली - शारीरिक गतिविधि, संतुलित आहार, और शराब के सेवन में कमी करने से भी कई प्रकार के कैंसर से बचा जा सकता है। तीसरा, टीकाकरण और स्क्रीनिंग - हेपेटाइटिस बी जैसे वायरस के कारण होने वाले कैंसर से बचाव के लिए टीकाकरण और नियमित स्क्रीनिंग महत्वपूर्ण साबित हुई है। चौथा बिंदु, समुदाय आधारित जागरूकता - देखने में आया है कि कैंसर को लेकर जागरूकता से जुड़े इस अभियान के तहत सामुदायिक स्तर पर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक जानकारियां पहुंचाना आसान हुआ है। - इ.रि.सें

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