प्रवासी मजदूरों के कम आने से धान की बुआई पर ब्रेक
विकास कौशल/निस
बठिंडा, 14 जून
पंजाब में धान की बुआई आधिकारिक तौर पर मुक्तसर, फरीदकोट, मानसा, बठिंडा, फाजिल्का और फिरोजपुर सहित छह जिलों में 11 जून को शुरू हो गई है, जबकि शेष 17 जिलों में बुआई 15 जून को शुरू होगी। इस साल अधिक गर्मी के कारण पंजाब में प्रवासी मजदूरों का आना कम हो रहा है। जिससे किसानों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जिसके चलते दूसरे राज्यों से प्रवासी मजदूरों का पंजाब आना शुरू हो गया है। बठिंडा के रेलवे स्टेशन पर श्रमिक ट्रेनों से उतर रहे हैं, वहां बठिंडा समेत पूरे मालवा क्षेत्र से किसान मौजूद हैं, जो प्रवासी मजदूरों को लेने के लिए रेलवे स्टेशन पहुंच रहे हैं। बठिंडा रेलवे स्टेशन विभिन्न गांवों से पहुंचे किसानों का कहना है कि इस साल अधिक गर्मी के कारण मजदूर कम रहे हैं।
अनुमान है कि इस बार पंजाब में 31 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुआई होगी। मालवा क्षेत्र में धान की बुआई की दर पिछले साल की तरह ही रहने की संभावना है। किसानों ने कहा कि जो भी प्रवासी मजदूर पंजाब से रोपाई करने आ रहे हैं, वे उन किसानों के पास जा रहे हैं जिनके पास वे कई वर्षों से धान रोपने आ रहे हैं। इसके अलावा इस साल धान की कटाई की दर भी बढ़ी है, पिछले साल किसानों द्वारा रहने और खाने के साथ-साथ 3500 प्रति एकड़ की मांग की गई थी, लेकिन इस साल प्रवासी श्रमिकों की आमद कम होने के कारण प्रति एकड़ 3800 से 4000 धान की कटाई की जा रही है, इसके अलावा 4200 तक रहने के भी संभावना है और खाने का खर्च अलग है।
इस बार किसान अभी तक मजदूरों का इंतजार कर रहे हैं। ज्यादातर किसान अभी तक और किसान प्रवासी मजदूरों के लिए बठिंडा रेलवे स्टेशन पर अन्य राज्यों से आने वाली गाड़ियों का का इंतजार करते हैं ताकि वह मजदूरों को अपने खेतों में काम करने के लिए ले जाएं।
पनीरी खराब होने का खतरा
भुचो खुर्द के किसान सुरजीत सिंह ने बताया कि बताया कि उनके पास हर साल धान की कटाई के लिए उत्तर प्रदेश से स्थाई मजदूर आते हैं। उन्होंने कहा कि आज उन मजदूरों से बात हुई है और वे वहां से पंजाब के लिए कुछ दिनों तक रवाना हो जाएंगे, परंतु हमें फिर भी चिंता बनी रहेगी क्योंकि आने वाले दिनों में अगर मजदूरों ने रोपाई नहीं नहीं की तो उन्हें बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा क्योंकि पंजाब सरकार ने पहले ही 11 जून को धान की रोपाई करने के निर्देश दे दिए हैं। जिसके चलते किसानों ने पहले ही धान की पनीरी तैयार कर ली थी, लेकिन मजदूरों के न आने से किसानों को भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है और पनीरी खराब होने का खतरा है। किसान समय पर धान की रोपाई नहीं कर पाएंगे। कोट शमीर के किसान यादविंदर सिंह कहा कि धान की रोपाई के लिए 20 फीसदी मजदूर ही पहुंचे हैं बाकी के इस सप्ताह आने की उम्मीद है। बता दे अधिकांश किसान धान की रोपाई भी प्रवासी श्रमिकों से कराना पसंद करते हैं। किसानों के मुताबिक प्रवासी मजदूर धान रोपने में माहिर हैं और धान के पौधों के बीच दूरी रखने में माहिर हैं और पंजाब के मजदूरों की तुलना में वे दोगुने क्षेत्रफल में धान लगाते हैं।