For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

‘सरकार की नीतियों की वजह से किसान पराली जलाने को मजबूर’

08:56 AM Oct 24, 2024 IST
‘सरकार की नीतियों की वजह से किसान पराली जलाने को मजबूर’
फाइल फोटो
Advertisement

करनाल, 23 अक्तूबर (हप्र)
भारतीय किसान यूनियन सर छोटूराम के प्रवक्ता बहादुर महला बलड़ी ने कहा कि सरकार और प्रशासन की अप्रभावी नीतियों की वजह से किसानों को पराली जलाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। किसान अवशेषों को खेतों में दबाने के लिए तैयार है, लेकिन उसके पास न तो बड़े उपकरण हैं और न ही इतना पैसा है कि ट्रेक्टर जैसे उपकरणों से यह काम कर लें। सरकार द्वारा जो कृषि यंत्र उपलब्ध करवाए जा रहे हैं, वह केवल एक नाममात्र है, दिखावा है। 10 से 15 गांव में केवल एक या दो ही कृषि यंत्र दिए गए हैं, जिनसे हजारों एकड़ में फसल अवशेष प्रबंधन नहीं हो सकता। जो सब्सिडी सरकार की तरफ से किसानों को कृषि यंत्र खरीदने के लिए दिया जाता है, वह किसानों तक न पहुंच कर कागजों में ही सिमट जाती है। बहादुर महला ने सवाल किया कि किसान पराली नहीं जलाएगा बशर्ते सरकार अगली फसल के लिए किसान को उसका खेत तैयार करके दे दे। सरकार की मंशा ही किसानों को तंग करने वाली है। उन्होंने कहा कि पराली जलाने वाले किसानों के ऊपर एफआईआर दर्ज करके उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है। मोटे चालान काटे जा रहे हैं, जो सरासर गलत है। उन्होंने कहा कि अधिकारी किसानों मुकदमा दर्ज करने की कार्रवाई बंद करें। उन्होंने कहा कि जो पुरानी पराली की गांठे हैं उनका कोई खरीदार नहीं है, न ही कोई खेत से उठाने आता है। पराली प्रबंधन का भी सरकार को प्रति एकड़ तीन से चार हजार रुपए देने चाहिए। उन्होंने कहा कि रेड एंट्री करके किसान की फसल अगले दो साल नहीं खरीदने का फैसला गलत है।

Advertisement

Advertisement
Advertisement